उत्तराखण्ड की प्राकृतिक सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं, यहाँ के उच्च हिमालय में स्थित दूर तक फैले हरे भरे बुग्याल. बुग्याल घास के बड़े बड़े मैदान होते हैं जो लगभग 10000 फिट की ऊँचाई के बाद ट्री लाइन ख़त्म होने पर शुरू होते हैं.
(Panwali Kantha Trek Uttarakhand Photos)
पंवाली कांठा इनमें सबसे सुंदर बुग्यालों में शामिल है, जिसकी ताज़ा यात्रा कर के हम पिछले दिनों आये हैं. हमारी यह यात्रा अस्कोट से आराकोट अभियान 2024 का बहुत छोटा सा हिस्सा भी रही. हमारे दल में हम तीन फोटोग्राफर शामिल रहे जिनमे बहुत अनुभवी और 75 वर्ष की उम्र में भी सबसे ज़्यादा जोश से भरे शानदार फोटोग्राफर अनूप साह जी एवं जंगली मशरुम और प्रकृति के दीवाने व उम्दा फोटोग्राफर प्रदीप पांडे जी.
मेरे लिये यह ट्रेक बहुत ख़ास इसलिए भी था की इस ट्रेक को मैं अपने पिता शमशेर सिंह बिष्ट की स्मृतियों को साथ लेकर कर रहा था जिन्हें ख़ुद यह ट्रेक बहुत प्रिय था. अक्सर उनकी बातों में इस जगह पंवाली कांठा का नाम आ ही जाता जिसे उन्होंने अपनी पहली अस्कोट से आराकोट यात्रा के दौरान अपने तीन अन्य दोस्तों शेखर पाठक, कुंवर प्रसून और प्रताप शिखर के साथ मिलकर आज से पचास साल पहले 1974 में किया था. वह एक तरह से इस जगह के दीवाने से थे, जैसा वह कहा करते थे कि इस जगह की ख़ूबसूरती का कोई सानी नहीं था, ये यहाँ जा कर महसूस किया जा सकता है.
(Panwali Kantha Trek Uttarakhand Photos)
त्रिजुगीनारायण मंदिर और उससे लगे जंगल से जो ख़ूबसूरती शुरू होती है वो इस पूरे ट्रेक में आप के साथ रहती है, पूरे रास्ते भर जिधर देखो वहाँ कुछ न कुछ खूबसूरत चीजें दिखती हैं चाहे वो विशाल और घने पेड़ हों या फिर छोटे छोटे सुंदर फूल और पौधे, अजब ग़ज़ब क़िस्म के जंगली मशरुम जैसे चिकन ऑफ़ द वुड्स हो या फिर सीताके मशरुम, सुंदर बुग्यालों के बीच से उठता हुआ कोहरा हो या फिर घाटियों में पेड़ों के बीच से गुजरती रोशनी हो ये ट्रेक आप को पल पल अपनी अदा से रोकते टोकते हुए अपने साथ ले ले कर चलता है.
और जब आप मग्गू चट्टी से राजखरक होते हुए उस जगह पहुँचते हैं जिसकी चर्चा आप बचपन से सुनते आ रहे थे तो आप वाक़ई में इसके सौंदर्य से अभिभूत हो जाते हैं. पंवाली की पीठ में चरते घोड़े एक अलग ही लैंडस्केप बनाते हैं और इसमें रहने वाले बुग्यालवासियों के छप्पर वाले घर और लोग एक अलग ही दुनिया में होने का आभास देते हैं.
(Panwali Kantha Trek Uttarakhand Photos)
हिमालय के नज़दीक सबसे पहली और आख़िरी इस मखमली बुग्याली दुनिया को देखना और जीना हर बार एक सपना सा लगता है जो हमेशा सच होता है. पंवाली कांठा, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड, 21 से 26 जून 2024.
(फोटो एवं विवरण काफल ट्री के अनन्य साथी जयमित्र सिंह बिष्ट, हिमालयन जेफर, की फेसबुक से लिया गया है.)
जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
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