Featured

मुनस्यारी से ‘बूंद’ की आवाज और धुन

पिछले एक साल से मुनस्यारी के तीन लड़के नवनीत, नवल और लवराज ‘बूंद’ गीत पर मेहनत कर रहे हैं. इस क्रिसमस पर पांडवाज की टीम आपके सामने मुनस्यारी के तीन लड़कों की मेहनत ‘बूंद’ पेश कर रही है. कुछ दिन पहले आपने बूंद गीत लिखने वाले लवराज टोलिया से बातचीत ‘मुनस्यारी से संगीत की ‘बूंद’ लेख में पढ़ी थी. आज हम आपको मिला रहे हैं बूंद की आवाज नवनीत निखुर्पा और बूंद की धुन नवल निखुर्पा से. पहले नवनीत निखुर्पा और नवल निखुर्पा जूनियर का गाया यह गीत  सुनिये.

दिल को सुकून देने वाली यह आवाज नवनीत निखुर्पा की है. नवनीत और नवल दोनों चचेरे भाई हैं. बचपन से साथ में खेले हैं. बचपन से ही साथ में गाते भी रहे हैं. उनकी आवाज में उनकी दोस्ती की उम्र साफ़ झलकती है. दोनों ने साथ में विवेकानंद विद्या मंदिर मुनस्यारी से हाईस्कूल तक की पढ़ाई की है. उसके बाद जैसे कि मुनस्यारी में अक्सर आगे पढ़ने वाले बच्चों के साथ होता है ये दोनों भी अलग अलग शहरों में हो लिये. नवनीत आगे की पढ़ाई के लिये अल्मोड़ा को निकला तो नवल पिथौरागढ़.

नवल निखुर्पा जूनियर

नवनीत और नवल दोनों में से किसी ने भी अभी तक संगीत की कोई औपचारिक ट्रेनिंग नहीं ली है. मुनस्यारी के खुले आकाश और बड़े पहाड़ों के बीच ही दोनों ने एक-दूसरे का खूब साथ दिया. नवनीत और नवल दोनों अपना नाम भी नवल ही लिखते हैं फर्क बस अंग्रेजी के अक्षर वी और डब्लू से करते हैं. नवनीत कहते हैं कि उनकी गायकी में उनके स्कूल के दिनों का बड़ा योगदान रहा है. स्कूल के कार्यक्रमों ने ही उन्हें स्टेज पर गाना सिखाया है.

उत्तराखण्ड के अधिकांश कलाकारों का स्कूल के बाद पहला पब्लिक मंच होता है रामलीला. नवल और नवनीत का भी पहला मंच मुनस्यारी में होने वाली रामलीला पहला मंच था. दोनों की गायकी से पूरा मुनस्यारी प्रभावित रहा है. बारहवीं के बाद नवनीत ने कनालीछीना से डिप्लोमा किया वहीँ नवल ने आम्रपाली कालेज से इंजीनियरिंग की है. फिलहाल दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.

2014-15 से नवल और नवनीत ने लवराज के साथ मिलकर ‘परिक्रमा’ बैन्ड बनाया. हमारी जिंदगी की बहुत सी बातें हमारे बेहद करीब हुआ करती हैं. लेकिन हम इन बातों को नजरअंदाज कर देते हैं. हमारी जिंदगी का हिस्सा रहे इन हमेशा नजरअंदाज की जाने वाली चीजों की याद हमें तब आती है जब हम उनसे दूर होते हैं. मुनस्यारी से होने के अलावा नवनीत, नवल और लवराज को एक साथ जोड़ती है वह है कम उम्र में ही पहाड़ और घर वालों से दूर जाने का दर्द. पहाड़ और घर से दूर रहने के इस दर्द को ही तीनों ने पिरोया है बूंद में. तीनों ने अपने इस गीत में इसी नोस्टाल्जिया को क्रिएट करने की कोशिश की है. लवराज शब्द देते हैं, नवल की धुन और नवनीत की आवाज.

नवल निखुर्पा

नवनीत की आवाज सुकून देने वाली मधुर आवाज है. नवल की धुन के साथ जब नवनीत को आप गाते सुनते हैं तो आप वहीं पहुंचते हैं जहां लवराज अपने शब्दों से आपको पहुंचाना चाहते हैं. अपने पहले गीत बूंद को लेकर दोनों काफ़ी उत्साहित हैं. उनका कहना है कि उन्होंने बहुत मेहनत से गीत को पिरोया है. दोनों ही फिलहाल लवराज के साथ मिलकर अपने अगले प्रोजेक्ट में लगे हैं. उनका अगला प्रोजेक्ट राजुला मालूशाही पर है. जिसके एक बहुत छोटे से संवाद पर वह मिलकर काम कर रहे हैं.

अंत में नवल और नवनीत का तैयार किया एक और गीत सुनिये.

काफल ट्री की ओर से बूंद के लिये ‘परिक्रमा’ और पांडवाज की टीम को शुभकामनाएं.

-काफल ट्री डेस्क

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago