कोरोना महामारी के दौर में सबकी जुबान पर एक शब्द खूब चढ़ा- इम्युनिटि. लगभग एक फैशन की तरह सबने कहा कि कोरोना से लड़ने का सबसे कारगर तरीका है कि हम अपनी इम्युनिटि बढ़ाएं. इम्युनिटि यानी प्रतिरोधक क्षमता. शरीर की इम्युनिटि को हमने कोरोना से जोड़कर देखा, लेकिन आयुर्वेद में इस इम्युनिटि को हमेशा से ही बहुत महत्व दिया जाता रहा है.
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आयुर्वेद में इस इम्युनिटि की जांच करने के लिए बाकायदा एक श्लोक है, जिसमें आठ लक्षण दिए गए हैं. इन लक्षणों से आप पता कर सकते हैं कि आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कैसी है. यह श्लोक है –
देहे सर्वत्र चोष्णस्य समता लाघवं सुखम्।
क्षुत्तीक्ष्णा गाढ़निद्रा च मनसोऽपि प्रसन्नता ॥
शरीरे कर्मसामर्थ्य अनालस्यं च कर्मसु।
स्वतःस्वेदोगमः काले स्वस्थतांलक्षयन्ति हि ॥
अर्थात यदि हमारा पेट साफ हो, हमारा वजन सही हो, त्वचा साफ हो, हमें आलस न आता हो, अच्छी भूख लगती हो, अच्छी नींद आती हो, शरीर में कहीं कोई पीड़ा न हो और हमारा मन प्रसन्न रहता हो, तो हम अपने आपको स्वस्थ मान सकते हैं अन्यथा नही. अगर आप में ये 8 लक्षण नहीं हैं, तो घबराने की बात नहीं. आप आज से ही अपनी दिनचर्या, अपने खानपान को बदलकर जल्दी ही इन लक्षणों को पैदा कर सकते हैं. इन लक्षणों को आप कैसे अपने भीतर ला सकते हैं, उसके कुछ तरीके मैं आपको सुझा रहा हूं-
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जिनका स्वास्थ्य जितना अच्छा होता है, उनके चेहरे समेत पूरे शरीर में त्वचा भी हेल्दी होती है, चमकती हुई. रोज सुबह एक गिलास हल्का गुनगुना नीबू पानी पिएं और दिनभर में तीन से चार लीटर पानी पीने की आदत डालें. नियमित योग, व्यायाम और संतुलित व सात्विक आहार बाकी कमी पूरी कर आपकी त्वचा को निखार देंगे.
वजन बढ़ने की आनुवांशिक वजहों के अलावा अगर कोई और वजह है, तो वह आपके भोजन और व्यायाम के बीच असंतुलन है. जब भी आप दिनभर में भोजन के जरिए जितनी कैलरी(ऊर्जा) लेते हैं, व्यायाम और शारीरिक गतिविधि के जरिए उतनी कैलरी खर्च नहीं करते, तो अतिरिक्त ऊर्जा ही आपके शरीर में अतिरिक्त वजन बनकर जमा होती जाती है. ली जाने वाली और खर्च की जाने वाली ऊर्जा में संतुलन बनाकर आप अपने वजन को संतुलित कर सकते हैं.
अगर आपको भोजन के समय पर तेज भूख का अहसास न हो, तो आप खुद को एक अद्वितीय सुख से वंचित कर रहे हैं. जो लोग हर वक्त कुछ न कुछ खाते रहते हैं, जिनके भोजन का समय निश्चित नहीं होता और जो भूख से ज्यादा भोजन खाते हैं, वे ऐसा करके खुद को तेज भूख के सुख से वंचित करते हैं.
गहरी नींद के लिए बहुत जरूरी है कि शरीर में थकान हो, क्योंकि नींद शरीर की मांसपेशियों को दुरुस्त करने और आपको तरोताजा करने के लिए ही होती है. रात में गहरी नींद का सुख लेने के लिए दिन में सोने की आदत छोड़नी होगी. दोपहर के भोजन के बाद 20 मिनट का आराम कर सकते हैं. दिनभर शरीर और दिमाग दोनों से सक्रिय बने रहें.
मन अगर उदास रहता हो, वहां घबराहट हो, तो शरीर स्वस्थ नहीं रह सकता. मन का प्रसन्न रहना बहुत जरूरी है. मन दो तरह से प्रसन्न होता है. पहला- शरीर के स्वास्थ्य से. आप जितना शरीर को योग, व्यायाम और संतुलन के जरिए फिट बनाओगे, मन उतना प्रसन्न रहेगा. दूसरा- आपकी सकारात्मक सोच मन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है. सकारात्मक सोच के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास सबसे कारगर है.
बहुत जरूरी है कि शरीर को लेकर बहुत सचेत रहा जाए. किसी हिस्से में कोई समस्या आए, तो लापरवाही न दिखा उस पर तुरंत ध्यान देकर त्वरित इलाज करवाने से हम निरोगी शरीर का सुख ले सकते हैं.
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सात्विक भोजन, ध्यान, योग, व्यायाम और प्राणायाम – अगर ये आपके नियमित जीवन का हिस्सा बन जाएं, तो आपके शरीर में आलस्य की कभी कोई जगह नहीं रहेगी.
अगर आप सात्विक भोजन करेंगे और नियमित योगासन भी करेंगे, तो आपका पेट अपने आप साफ रहेगा. दिनभर में तीन से चार लीटर पानी पीना बहुत जरूरी है. पेट को दबाने वाले सभी आसन कब्ज को दूर करने में सहायक होते हैं. आप भुजंगासन, बालासन, पवन मुक्त आसन, वज्रासन, धनुरासन और योगमुद्रा का विशेष अभ्यास कर सकते हैं. याद रखें कि जिम जाकर बाहर ही बाहर से शरीर को चमकाने से आप स्वस्थ नहीं कहलाएंगे. ये 8 लक्षण ही आपके स्वास्थ्य के असली मापदंड हैं.
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-सुंदर चंद ठाकुर
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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