जन्म के वक्त हम सभी शरीर और दिमाग के स्तर पर एक जैसे होते हैं, लेकिन हम जीवनकाल में अपने शरीर और दिमाग का अपनी-अपनी तरह से इस्तेमाल करते हैं और मृत्यु के वक्त इस दुनिया में अपनी अलग पहचान छोड़ कर जाते हैं. जन्म के वक्त सभी में बराबर संभावनाएं होती हैं. अगर आप नवजात बच्चों को देखें, वे चाहे गरीब घरों में जन्में हों या अमीर घरों में, आप यह नहीं बता सकते कि कौन कितना सफल जीवन जीकर दुनिया को अलविदा कहेगा. गौतम बुद्ध ने एक राजा के घर जन्म लेकर भी एक साधु का जीवन जिया और उनके नाम पर एक नया धर्म ही अस्तित्व में आ गया. अब्राहम लिंकन एक मोची के घर में जन्म लेकर भी दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के राष्ट्रपति बने. ये दो तो जीवन में सफल रहे, लेकिन दुनिया में जाने कितने लोग पूरा जीवन गुमनामी के अंधेरे में जीकर दुनिया से विदा हो जाते हैं. कौन जीवन में क्या बनता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे अपनी काबिलियत पर कितना भरोसा है. सत्य को जानने के लिए गौतम बुद्ध महीनों तक चावल का एक दाना खाकर जिए. अब्राहम लिंकन ने घनघोर गरीबी में भी खुद पर यकीन कम न होने दिया. जीवन में हम असफल क्यों होते हैं, इसे एक बहुत सुंदर उदाहरण से समझा जा सकता है. Mind Fit 15 Column
एक बार एक आदमी पालतू हाथियों के बाड़े के करीब से गुजर रहा था. बाड़े में विशालकाय हाथी बंधे हुए थे. लेकिन उसने देखा कि हाथी जितने बड़े थे, उनके पैरों में रस्सी उतनी ही पतली थी. वह सिर्फ कहने मात्र को रस्सी थी. उसे हाथी जरा-सी ताकत से ही तोड़ सकता था. उस आदमी को यह देखकर बहुत हैरानी हुई. वह तो सोच रहा था कि हाथी जरूर लोहे की बड़ी-बड़ी मोटी चेन से बंधे होंगे. उसने एक महावत को आवाज लगाई. महावत करीब आया, तो उसने पूछा –
“भाई तुम्हारे ये इतने बड़े-बड़े हाथी हैं, लेकिन तुमने इतनी पतली रस्सियों से इन्हें बांधा हुआ है. वे जरा-सी ताकत लगाकर इसे तोड़ सकते हैं. सोचो, अगर ये रस्सी तोड़कर भाग गए, तो कितनी बड़ी मुसीबत हो जाएगी तुम्हारे लिए.”
व्यक्ति की बात सुनकर महावत हंसते हुए बोला-
“मैं जन्म से ही इन हाथियों के साथ हूं. मैं जानता हूं ये कभी रस्सी तोड़कर न भाग सकेंगे.”
“क्यों, क्या रस्सी न तोड़ने की भी ट्रेनिंग दी है इन्हें तुमने”, व्यक्ति ने हैरान होते हुए पूछा.
“नहीं, पर जब ये छोटे थे, तो इनके लिए यही रस्सी बहुत मजबूत थी. तब इन्होंने कोशिश भी की होगी, तो भी इसे न तोड़ पाए होंगे. अब इनके दिमाग में यह बात बैठ चुकी है कि वे रस्सी को नहीं तोड़ सकते. इसीलिए वे कभी रस्सी तोड़ने की कोशिश ही नहीं करते.” Mind Fit 15 Column
जैसे इस भरोसे में रहकर कि वे रस्सी नहीं तोड़ सकते, ये हाथी कभी उसे तोड़ने की कोशिश नहीं करते, वैसे ही हम भी अपनी काबिलियत को कम आंकते हुए और यह मानकर कि हम उन्हें नहीं कर पाएंगे, नए काम करने की कोशिश ही नहीं करते. हम भी अपनी सामर्थ्य को लेकर अपने भीतर कई गलत धारणाएं पाले हुए हैं. अपने अतीत में अगर हम कभी कोई काम नहीं कर पाए, तो वह असफलता विश्वास बनकर हमारे भीतर बैठ जाती है. लेकिन हाथी के उदाहरण से आप बखूब समझ गए होंगे कि ऐसे भरोसे वस्तुत: गलत होते हैं. हम चाहें, तो क्या नहीं कर सकते. अतीत में एक बार कोई काम नहीं हो पाया, तो उसे दोबारा करें. तब तक करें कि जब तक सफल न हो जाएं. अतीत की असफलताओं से आपके भविष्य की दिशा नहीं तय होनी चाहिए. हमें हर स्थिति, हर मुसीबत से लड़ते हुए अपनी जीत पर भरोसा बनाए रखना चाहिए. हमारी आधी सफलता तो खुद पर भरोसा करने मात्र से ही तय हो जाती है. किसी काम में अगर असफलता मिलती भी है, तो खुद से कहें – कम से कम मैंने कोशिश तो की. Mind Fit 15 Column
अपनी सीमाएं मत बनाओ. यह जन्म आपको असीमित पाने के लिए मिला है. अपने को एक छोटे संसार में, छोटे घेरे में बांधकर मत रखो. सीमाओं में बांधा हुआ जीवन मत जिओ. अपनी ही बनाई बंदिशों को तोड़ना है तुम्हें. नई चीजें आजमाओ, नए लोगों से मिलो. यकीन करो कि यह दुनिया आपकी ही है. यहां जो चाहोगे, वही पाओगे. Mind Fit 15 Column
अतीत को छोड़कर, बंधनों को तोड़कर, नई मंजिलों की ओर बढ़ते चलो, बढ़ते चलो.
कल अगर हारे थे, तो कल जीतोगे भी, भाग्य को कर्मपथ पर गढ़ते चलो, गढ़ते चलो.
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
लेखक के प्रेरक यूट्यूब विडियो देखने के लिए कृपया उनका चैनल MindFit सब्सक्राइब करें
कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…