अल्मोड़ा के वैज्ञानिक श्रीकृष्ण जोशी की उपलब्धियों को विश्व के तमाम प्रकाशनों में जगह मिली थी. लिम्का बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स में उनके नाम पर यह प्रविष्टि दर्ज है – (Limca Book of Records also Recognizes Srikrishna Joshi of Almora)
अल्मोड़ा के पंडित श्रीकृष्ण जोशी, जो इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में रहते थे, ने आग के विकल्प के रूप में सौर ऊर्जा से चलने वाले एक उपकरण का आविष्कार किया जिसका नाम उपयुक्त तौर पर भानुताप रखा गया. (Limca Book of Records also Recognizes Srikrishna Joshi of Almora)
इसे हीलियोथर्म भी कहा जाता था. इसका पेटेंट 1900 में कराया गया था और इसे 1901 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुई इंडस्ट्रियल एग्जीबीशन में गोल्ड मैडल दिया गया था.
इस प्रदर्शनी के बाद ‘द इन्डियन रिव्यू’ में लिखा गया –
हाल ही में हुई कांग्रेस इंडस्ट्रियल एग्जीबीशन में जिस भारतीय आविष्कार ने सबसे अधिक ध्यान खींचा वह था भानुताप. ऊर्जा और गर्मी पैदा करने के उद्देश्य से बनाए गए इस उपकरण के आविष्कारक हैं अल्मोड़ा के श्री श्रीकृष्ण जोशी जिन्होंने इसे पेटेंट करवाने का आवेदन 1989 में ही कर दिया था. यूरोप के महत्वपूर्ण वैज्ञानिकों में से एक निकोलस टेस्ला काफी समय से सूर्य की रोशनी को घरेलू और औद्योगिक क्षेत्र में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं. हमें यह जानने में संतुष्टि का अनुभव हो रहा है कि एक भारतीय ने इस दिशा में एक कदम उठाया है जो सफल रहा है. हमें बताया गया है कि इसके आविष्कारक ने एक छोटे इंजन को सूर्य की किरणों को बॉयलर पर फोकस कर चलाकर दिखाया है. हम आशा कर सकते हैं कि यदि उनका प्रयोग सफल हुआ तो यह आधुनिक समय की सबसे प्रभावी औद्योगिक उपलब्धियों में से एक होगा.
अल्मोड़ा के मकीरी मोहल्ले के रहने वाले पंडित श्रीकृष्ण जोशी की असाधारण उपलब्धियों के बारे में हमने एक लेख हाल ही में लगाया था जिसे इस लिंक पर पढ़ा जा सकता है – अंग्रेजों साथ देते तो तय था अल्मोड़ा के इस वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार मिलना
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