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पहाड़ों में क्वैराल का फूल

इन दिनों पहाड़ में बुरांश के लाल फूलों के साथ क्वैराल के सफ़ेद फूल भी खूब खिले रहते हैं. क्वैराल जिसे हिंदी में कचनार कहा जाता है उत्तराखंड के साथ-साथ भारत के अधिकांश हिस्सों में खिलता है. क्वैराल का वानस्पतिक नाम बोहिनिआ वेरिएगेटा है.

क्वैराल का रंग गुलाबी-सफेद से हल्के बैंगनी तक भिन्न-भिन्न होता है. उत्तराखंड के पहाड़ों में मुख्य रूप से सफेद और बैंगनी रंग के क्वैराल के फूल खिले दिखते हैं.

क्वैराल के फूल

पहाड़ों में क्वैराल की कलियां बसंत और क्वैराल के फूल गर्मियों के आगमन के सूचक भी माने जाते हैं. मुख्यतः ये मध्य हिमालय और शिवालिक हिमालय के जगलों में पाये जाते हैं.

क्वैराल के पेड़ की लम्बाई मध्यम आकार की होती है. क्वैराल के पेड़ की छाल का उपयोग आर्युवेद में खूब किया जाता है. रक्त से जुड़ी बहुत सी बीमारियों में क्वैराल की छाल के पीसे हुए पाउडर का प्रयोग किया जाता है.

क्वैराल की कलियां

क्वैराल का प्रयोग पहाड़ों में दो तरीके से देखा गया है. पहला तो क्वैराल के रायते के रूप में दूसरा कच्ची कलियों के रूप में. क्वैराल के रायते का प्रयोग सामान्य रूप से पेट के रोगियों की दवा के रूप में भी किया जाता था. क्वैराल की कलियां खाने में मीठी होती हैं.

क्वैराल का रायता खाने के साथ भी बनाया जाता है. क्वैराल की कोपलों और फूलों दोनों का ही रायता बनाया जाता है. क्वैराल को पहले साफ़ पानी में उबाल लिया जाता है. उबले हुए क्वैराल को सिलबट्टे में पीसा जाता है और दही के साथ मिलकर रायता बनाया जाता है.

क्वैराल के रायते के अलावा क्वैराल का अचार भी बनाया जाता है. इसके अतिरिक्त क्वैराल की सब्जी भी बहुत स्वादिष्ट होती है. भारत के अधिकांश हिस्सों में जहां क्वैराल की कलियों की सब्जी बनायी जाती है वहीं नेपाल में क्वैराल के फूलों की भी सब्जी बनायी जाती है.

नेपाल में क्वैराल की सब्जी.

नेपाल में क्वैराल को कोइरालो कहा जाता है. नेपाल के बाजार में कोइरालो नाम से क्योराल के फूल खूब बिकते हैं. जिन्हें आलू, अदरक आदि में मिलाकर स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है.

पिछले कुछ वर्षों में क्वैराल का अचार भी अपने औषधीय गुणों के कारण ख़ासा लोकप्रिय हुआ है. पहाड़ों में आने वाले पर्यटक भी इसका अचार न केवल खूब पसंद करते हैं बल्कि अपने साथ भी ले जाते हैं. क्वैराल का अचार उसकी कलियों से ही बनता है.

-काफल ट्री डेस्क

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Girish Lohani

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  • लेख के प्रारम्भ में "इन दिनों... '" शब्दों से शुरुवात हुई है ।जो यह नहीं जानते हैं कि आजकल क्वैराल एवं बुराँस का फूल नहीं खिलता है उनको यह लेख भ्रमित कर सकता है।अतः अनुरोध है कि ऐसे लेखों को ऋतु अनुसार ही प्रसारित /प्रकाशित करने का मेरा व्यतिगत मत संज्ञान में लेने का कष्ट करेंगे ।

  • आजकल ही खिलते हैं श्रीमान जी। फ़रवरी में गर्म घाटियों में एवं ऊंचाइयों में जून तक क्रमशः।।।

  • हिमाचल में इसे कराल कहा जाता है। इस मौसम की देसी सब्जी है । यहां इसके फूलों के पकोड़े और कालियों की चटपटी सब्जी बनाई जाती है ।

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