कुछ समय पहले हमने एक ख़बर दी थी कि पौड़ी जिले के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की पहल पर पहली से पांचवीं क्लास तक के बच्चों के लिये विशेषज्ञों द्वारा गढ़वाली पाठ्यक्रम तैयार किया गया है.
पौड़ी के डीएम धीराज गर्ब्याल की पहल पर पांचवीं कक्षा तक गढ़वाली पाठ्यक्रम तैयार
आज एक वीडियो सामने आया है जिसमें जिला पौड़ी के एक स्कूल में बच्चे गढ़वाली भाषा में एक गीत बड़े आनन्द से गा रहे हैं.
पाठ्यक्रम के लिए तैयार पुस्तक में गढ़वाली भाषा में विद्यालय का नाम, जन्म तिथि, गांव, तहसील व ब्लॉक का नाम शामिल किया गया है. पुस्तकों का नाम नाम कक्षावार ‘धगुलि’, ‘हंसुलि’, ‘झुमकि’, ‘पैजबी’ आदि रखा गया है.
बीती 28 जून को गढ़वाल कमिश्नरी के 50 वर्ष पूरे होने पर गोल्डन जुबली समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गढ़वाली भाषा की इन किताबों का विमोचन किया था. मुख्यमंत्री को जब इस बात कि जानकारी हुई थी कि पौड़ी के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल गढ़वाली के सरंक्षण के लिये यह नवीन पहल कर रहे हैं तब उन्होंने उन्हें गढ़वाली भाषा में एक पत्र लिखकर बधाइयाँ दीं और उनके इस प्रयास को सराहा.
धीराज गर्ब्याल मानते हैं कि गढ़वाली पाठ्यक्रम की यह पुस्तक आने वाले समय में गढ़वाली बोली-भाषा को संरक्षित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी.
डीएम पौड़ी की पहल पर 13 शिक्षाविदों, साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों की काफी मेहनत के बाद तैयार गढ़वाली पुस्तकों को प्रचलित स्थानीय आभूषणों धगुलि, हंसुलि, छुबकि, झुमकि, पैजबी के नाम पर एक से कक्षा 5 तक कक्षावार रखे हैं.
पाठ्यपुस्तक में न केवल राज्य के इतिहास बल्कि समाज, विज्ञान, लोकज्ञान, कविता, गीत, नाटक और कहानियों को भी गढ़वाली भाषा में बताया गया है. जिले के पौड़ी ब्लॉक से प्रायोगिक तौर पर शुरू की गई इस पहल के सफल रहने पर पूरे जनपद के प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में इसे लागू किया जायेगा.
किताबों की कुछ तस्वीरें देखिये :
-काफल ट्री डेस्क
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