उत्तरकाशी जिले में मुख्यालय से 100 किमी की दूरी पर गंगोत्री धाम स्थित है. पौराणिक मान्यता अनुसार गंगा धरती पर यहीं अवतरित हुई थी.
भागीरथी नदी के तट पर स्थित यह मंदिर चार धाम यात्रा में यमनोत्री के बाद आता है. गंगोत्री से 19 किमी की दूरी पर स्थित गोमुख ग्लेशियर को ही गंगा का उद्गम स्थल माना जाता है.
स्थान पर शंकराचार्य ने गंगा की मूर्ति स्थापित की थी जहां गोरखा सेनापति अमर सिंह ने अठारहवीं सदीं में मंदिर का निर्माण कराया.
नवरात्र के प्रथम दिन गंगोत्री धाम के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त निकाला जाता है. प्रत्येक वर्ष शीतकाल में गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो जाते हैं. इसके बाद गंगा का डोला उसके शीतकालीन प्रवास पर ले जाया जाता है.
गंगा अपने शीतकालीन प्रवास के दौरान मुखबा गांव में रहती है. मुखबा गांव का एक अन्य नाम मुखवास गांव भी है. पूरे शीतकाल में गंगा की मूर्ति यहीं रहती है.
इस वर्ष 7 मई को गंगोत्री के कपाट खुलेंगे. सात मई को कर्क लग्न रोहिणी नक्षत्र के शुभ मुहूर्त में 11.30 बजे गंगोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले जाएंगे. यह महूर्त वैदिक पंचाग के अनुसार निकाला जाता है.
इससे पहले दिन मुखबा से मां गंगा का डोला उठेगा. छः मई को दिन में शुभ मुहूर्त के अनुसार मां गंगा का डोला उठेगा और गंगोत्री को रवाना होगा. रात के समय विश्राम भैरोघाटी स्थित भैरव के मंदिर में किया जायेगा.
भैरवघाटी स्थित भैरव मंदिर से सुबह के समय शुभ मुहूर्त पर डोला गंगोत्री धाम की ओर रवाना होगा.
– काफल ट्री डेस्क
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