आज गंगा दशहरा है. पहाड़ों में इसे दसार या दसौर भी कहते हैं. इस वर्ष गंगा दशहरा 12 जून, 2019 को पड़ रहा है. कुमाऊं क्षेत्र के हिस्सों में इस दिन घरों के मुख्य दरवाजों के ऊपर और मंदिरों में गंगा दशहरा पत्र लगाया जाता है. कुमाऊं क्षेत्र में गंगा दशहरा मनाने की काफी पुरानी रीत है.
गंगा दशहरा पत्र पुरोहितों द्वारा अपने यजमानों को घर-घर दिए जाने की परम्परा है. इन दशहरा पत्रों के बदले पुरोहितों को यजमान दक्षिणा में चावल इत्यादि देते हैं. पहाड़ों में यह माना जाता है कि इस पत्र के कारण प्राकृतिक आपदाओं और आसमान से गिरने वाली बिजली से घर की सुरक्षा होती है.
गंगा दशहरा पर्व प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्त पक्ष की दशमी को मनाया जाता है. गंगा दशहरा की उत्तराखण्ड के पारम्परिक पर्वों में गणना नहीं होती यह माना जा सकता है कि यह उत्तराखण्ड में आकर बसने वाले पुरोहित वर्ग की देन है. (उत्तराखंड ज्ञानकोष )
दशहरा पत्र में जो श्लोक/मंत्र लिखा जाता है वह इस तरह है-
अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च
सुमन्तुजैमिनिश्चैव पञ्चैते वज्रवारका:
मुने: कल्याणमित्रस्य जैमिनेश्चापि कीर्तनात्
विद्युदग्निभयं नास्ति लिखितं गृहमण्डले
यत्राहिशायी भगवान् यत्रास्ते हरिरीश्वर:
भङ्गो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा
गंगा दशहरा के संबंध है यह माना जाता है कि आज के दिन ही गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पहाड़ में हर छोटी-बड़ी नदी को गंगा का ही रूप माना जाता है. पहाड़ों में आज के दिन सभी लोग अपने आस-पास की छोटी-छोटी नदियों में स्नान करते हैं.
सरयू व गोमती के संगम स्थल बागेश्वर तथा हरिद्वार में लोग इस दिन स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं. इस दिन लोग चीनी और कालीमिर्च का शरबत भी तैयार करते हैं. यह माना जाता है कि इस दिन यदि इस शरबत का सेवन किया जाय तो परिवार के लोग वर्ष पर्यन्त निरोग रहते हैं.
पुराने समय में ब्राह्मण अपने हाथों से गंगा दशहरा पत्र बनाकर यजमानों को देते थे लेकिन बदलते समाज में पहले इसके स्थान पर प्रेस में छपे हुए प्रिंटेड पत्र रिवाज में आये. आज कल तो यह भी देखा जाता है कि कोई-कोई अति चतुर पुरोहित चार पैसे बनाने के चक्कर में एक ही पत्र की सैकड़ों फोटो प्रतियाँ करवा कर अपने यजमानों को बांट देते हैं. इससे रिवाज भी बना रहता है, आस्था का बाल बांका नहीं होता और सभी खुश रहते हैं.
गंगा दशहरा पत्र की फोटो देखिये.
–काफल ट्री डेस्क
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चंद्रशेखर तिवारी. पहाड़ की लोककला संस्कृति और समाज के अध्येता और लेखक चंद्रशेखर तिवारी दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र, 21,परेड ग्राउण्ड ,देहरादून में रिसर्च एसोसियेट के पद पर कार्यरत हैं.
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