तश्तरी के ऊपरी हिस्से में जो काले चने दिखाई दे रहे हैं उन्हें रात भर चीड़ की लकड़ी की आँच में गलाया जाता है. बिल्कुल बेसिक मसालों में भूने गए आलू हमारे कुमाऊँ में गुटके कहलाते हैं. इन दोनों के ऊपर छटाँक भर भांग के बीजों की चटनी परोसी जाती है.
(Famous Food in Uttarakhand)
इस परम चैतन्यकारी संयोजन को सम्पूर्ण बनाने के लिए खीरे का जो रायता बनाया जाता है उसमें पिसी हुई राई गीली आत्मा की तरह मौजूद रहती है. पिछली रात को भिगोए गए राई के बीज सुबह सिल बट्टे की मदद से पीस कर रायते में घोले जाते हैं. गाढ़े दही और मुलायम खीरे की मिली-जुली ताज़गी की संगत पाकर राई वसन्त की आहट पाए किसी जंगली फूल जैसी खिलना शुरू करती है.
सुबह की मिली हुई राई दोपहर तक कितने ही तिलिस्मों की छाया में एक ऐसे दिव्य रासायनिक चमत्कार में परिवर्तित हो जाती है जिसका वर्णन करते हुए देवताओं के शब्द भी कम पड़ जाएँ.
(Famous Food in Uttarakhand)
उसका पहला ज़ायक़ा कनपटी पर हमला करता है. उसकी महक जीभ पर महसूस होती है और स्वाद के वाहन पर बैठ कर प्रकाश की गति से मस्तिष्क तक पहुँच समूचे स्नायुतंत्र को हकबका देती है.
मेरे पहाड़ के भोजन विशारदों ने शताब्दियों की तपस्या से आलू, चने और रायते का यह अनुपम जादू बनाया है. कुमाऊँ के तमाम गाँवों-क़स्बों से होकर गुज़रने वाली छोटी-बड़ी हर सड़क के किनारे बनी असंख्य गुमटियों में स्वाद का यह महासागर परोसा जाता है.
इस जन्म में एक दफ़ा नहीं खाया तो क्या जिया!
(Famous Food in Uttarakhand)
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