देश कर्ज के गहरे भँवर में डूबता हुआ दिखाई दे रहा है, आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि आजादी के 67 साल में यानी 2014 तक देश के ऊपर कुल कर्ज 54.90 लाख करोड़ रुपए था ओर मोदी जी के मात्र सवा पाँच साल के राज में इस कर्ज में लगभग 34 लाख करोड़ की बढ़ोत्तरी हो गयी है. (Economy Submerged in Foreign Loans)
सरकारी कर्ज के ताजा आंकड़े के मुताबिक जून 2019 के अंत में सरकार की कुल बकाया देनदारी बढ़कर 88.18 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है, जो मार्च 2019 के अंत में 84.68 लाख करोड़ रुपए पर थी. (Economy Submerged in Foreign Loans)
यह मैं नहीं कह रहा हूं, यह सरकारी आँकड़े हैं जो वित्त मंत्रालय सालाना स्टेटस रिपोर्ट के जरिए जारी करता है। यह प्रक्रिया 2010-11 से जारी है.
यानी आप खुद सोचिए कि 67 साल में 54 लाख करोड़ ओर कहां सिर्फ सवा 5 साल में 34 लाख करोड़?
एक बात ओर गौर करिए कि सरकारी कर्ज के इन आंकड़ो के मुताबिक मार्च 2019 के अंत में 84.68 लाख करोड़ रुपए का कर्ज मात्र 3 महीने में बढ़कर जून 2019 के अंत में यह 88.18 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया यानी अब हर महीने 1 लाख करोड़ से भी अधिक का कर्ज लिया जा रहा है. यह है असलियत न्यू इंडिया की, जहाँ एक एक भारतीय के माथे लगभग 65 हजार का कर्ज़ है.
आज एक हौलनाक खबर आयी है कि विदेशी कर्ज में पिछले 5 साल की तुलना में पिछले एक साल में सबसे अधिक तेजी से बढ़ोतरी हुई है. साल 2014 की तुलना में विदेशी कर्ज 11.8 फीसदी बढ़ गया है. भारत के विदेशी कर्ज की कुल विकास दर जून 2014 से जून 2018 के बीच 3.16 फीसदी रही। वही पिछले साल यह दर 8.6 फीसदी तक पुहंच गयी है दो साल के दौरान विदेशी कर्ज में 51000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
लंबी अवधि के बकाया कर्ज की राशि में पिछले एक साल में 8 फीसदी की वृद्धि हुई है. यह पिछले एक साल में 414 अरब डॉलर से बढ़कर 447 अरब डॉलर पहुंच गया है. वहीं, छोटी अवधि के बकाया कर्ज में 11.1 फीसदी की तेजी से बढ़ोतरी हुई है. यह पिछले एक साल में 98.7 अरब डॉलर से 109.7 अरब डॉलर पहुंच चुका है.
शायद अब आप समझ पाएं कि क्यों मोदी सरकार सार्वजनिक संपत्तियों, सरकारी कंपनियों और देश मे उपलब्ध संसाधनों को जल्द से जल्द बेच देने की जल्दी मचा रही है जिस व्यक्ति पर कर्ज़ गले तक आ जाता है उसकी सबसे पहली नजर पुरखों की जोड़ी हुई संपत्ति पर ही होती हैं!
–गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से
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