उत्तराखण्ड के जनसंघर्षों के प्रतीक डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट का आज प्रातः अल्मोड़ा में निधन हो गया है. वह लम्बे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. मूलतः खटल गाँव स्याल्दे निवासी डॉ. शमशेर सिंह बिष्टका जन्म 4 फरवरी 1947 को अल्मोड़ा में हुआ. छात्र जीवन से ही वह जनसरोकारों की राजनीति के लिए प्रतिबद्ध रहे. 1972 में वे अल्मोड़ा छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद आप पूरी तरह उत्तराखण्ड के जनसरोकारों से जुडी राजनीति को समर्पित रहे. मुख्यधारा की राजनीति के सभी प्रलोभनों से दूर आजीवन हिमालयी सरोकारों के लिए संघर्षरत रहे.
आपका जाना उत्तराखण्ड के जनांदोलनों के एक युग का समाप्त हो जाना है. डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के जाने से पैदा हुए राजनीतिक शून्य को कभी नहीं भरा जा सकेगा.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…
View Comments
आज इस सोच इस बौद्धिक स्तर का कोई दूसरा उत्तराखण्ड में मुझे तो नजर नहीं आता है। अल्विदा डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट।
आज इस सोच इस बौद्धिक स्तर का कोई दूसरा उत्तराखण्ड में मुझे तो नजर नहीं आता है। अल्विदा डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट।