दिल्ली विधानसभा चुनाव निपटने के साथ ही एग्जिट पोल के नतीजे आ गए. जितने भी पोल आये सभी में आप पार्टी को स्पष्ट ही नहीं बल्कि भारी बहुमत दिखाया जा रहा है. आप को 50 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट मिलता दिख रहा है. (Delhi Elections and Indian Media)
आज के दौर में जब भाजपा के सामने देश के सबसे पुराने दल कांग्रेस की हालत पतली है तो वहीं आप पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल नवीन पटनायक, ममता बेनर्जी की तरह उन चंद नेताओं में हैं जो मोदी-साह और ज्यादातर हिंदी न्यूज़ चैनलों के आगे डटे हुए हैं.
अब इस बात पर क्या लिखा जाए कि किस निचले हद तक देश के अधिकतर न्यूज़ चैनल केंद्र सरकार की चरण वन्दना में जुटे हुए हैं लेकिन कल शाम एक हिंदी न्यूज़ चैनल के एंकर ने एग्जिट पोल का विश्लेषण करते हुए सभी हदें पार कर दीं. उसने दिल्ली की जनता को मुफ्तखोर बता कर गरियाया और कहा कि दिल्ली की जनता को राष्ट्रीय मुद्दों से कोई मतलब नहीं है. इस देश में जहां जनादेश को भगवान का आदेश का बोलते हैं तो वहां आखिर ये एंकर इतने नीचे हद तक क्यों गिर गया?
पत्रकारिता में ओछेपन की इस हद को पार करने के भी कारण है. इसके पीछे का मकसद भी केंद्र सरकार के एजेंडा को ही लागू करना है. इस एंकर ने अपने न्यूज चैनल पर सीएए के समर्थन मिस कॉल अभियान चलाया था और दावा किया था कि देश मोदी सरकार के साथ है. कहना गलत नहीं होगा भाजपा पार्टी के प्रवक्ता की तरह न्यूज़ चैनल ने दिन रात सीएए और एनआरसी के समर्थन में भ्रामक खबरें भी चलाईं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल आने के बाद अब ये न्यूज़ एंकर बोल रहा है कि दिल्ली की जनता को मुफ्त सुविधाएं चाहियें उसे राष्ट्रीय मुद्दों से मतलब नहीं है. ये एंकर बड़ी चालाकी से मोदी-साह के एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है. सीधे तौर पर ये कहने से बचा जा रहा है कि आप को वोट देने वालों में एक बड़ा हिस्सा उनका है जिन्होंने सीधे तौर पर एनआरसी-सीएए को नकारा है. खुद आप पार्टी भी इसके खिलाफ रही. अल्मोड़ा से बीबीसी रेडियो की भीनी-भीनी यादें
ये न्यूज़ एंकर दिल्ली की जनता को मुफ्तखोर साबित करके इन मुद्दों की प्रासंगिकता को बनाये रखना चाहता है. ये न्यूज़ चैनल कभी नहीं कहेगा कि शाहीनबाग के आंदोलन का असर इस चुनाव में पड़ा है. केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के कई लोग हैं जिन्होंने इसे गैर जरूरी समझा और भाजपा के खिलाफ वोट दिया. क्योंकि देश की जनता में अभी भी बहुत लोग ऐसे हैं जिनके लिये, जरूरत से ज्यादा हौव्वा बनाये जा रहे पाकिस्तान, हिन्दू-मुसलमान, सीएए-एनआरसी की जगह रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा और एक बेहतर जीवन स्तर, ज्यादा अहम मुद्दे हैं.
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हल्द्वानी में रहने वाले नरेन्द्र देव सिंह एक तेजतर्रार पत्रकार के तौर पर पहचान रखते हैं. उत्तराखंडी सरोकारों से जुड़ा फेसबुक पेज ‘पहाड़ी फसक’ चलाने वाले नरेन्द्र इस समय उत्तराँचल दीप के लिए कार्य कर रहे हैं. विभिन्न मुद्दों पर इनकी कलम बेबाकी से चला करती है.
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गलत समीक्षा कर रहे हैं ।
सत्ता की चारनभाट....पढ़ कर दकियानूसी 'तेजतर्रार' पत्रकार की बुद्धि औऱ मानसिकता पर हंसी आई। शब्दों की चाशनी में डुबाकर, हर कलम की दलाली करने वाला आज पत्रकार है और सोचता यह है कि मिडिल क्लास बौद्धिक अपंगता से ग्रस्त है और वही उसका तारण धार है।
पत्रकार का काम केवल सूचना देना है अपना ज्ञान नही। पर जो काम बरखा दत्त, रवीश कुमार जैसे लेफ्टिस्ट लिबरल ने शुरू किया उसी के उत्तर में राइटिस्ट अर्नब और सुधीर ने भी अपनी दुकान चला दी है। सो काफल ट्री का पाठक सब समझता है, और राजनीति की खिचड़ी यहां नही वहाँ ही पकाओ। अन्यथा हमे ही विदा लेनी होगी
पोस्ट करने वाले की अपनी राय होगी हमारी अपनी राय है और हम उस ऐंकर के साथ हैं बी जे पी के साथ हैं.
गलत तरीके से प्रस्तुत करके इनके द्वारा भी चरण बंदना का ही काम किया जा रहा है। क्या दिल्ली का विधान सभा चुनाव CAA/NPR/NRC का पोल था?
Bahut kam patrakar hain aap jaise, jo such bolne - likhne ka sahas rakhte hain.... ??