समाज

पिथौरागढ़ जिले से सातों-आठों पर्व की तस्वीरें

कुमाऊं के बहुत से क्षेत्रों में सातों-आठों सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. सातों-आठों कुमाऊं का एक ऐसा लोकपर्व है जिसमें स्थानीय लोग मां…

3 years ago

मां नंदा के जयकारों से पूरे पहाड़ का लोक नंदामय हो गया

आखिरकार एक साल के इंतजार के बाद एक बार फिर से नंदा के जयकारों से पूरे पहाड़ का लोक नंदामय…

3 years ago

उत्तराखंड के इतिहास में काला दिन है 1 सितम्बर

1 सितम्बर, 1994 की सुबह खटीमा में हमेशा की तरह एक सामान्य सुबह की तरह शुरू हुई. लोगों ने अपनी…

3 years ago

पाण्डवाज़ की फिल्म ‘यकुलाँस’ भारतीय सिनेमा के लिये एक सम्मान है

अगर आप केवल टी-शर्ट में ‘पहाड़ी’ लिखकर तनकर चलने वाले पहाड़ियों में हैं तो ‘यकुलाँस’ का पहला मिनट उत्साह से…

3 years ago

अफ़गान बादशाह जो देहरादून में ‘बासमती चावल’ लाया

‘देहरादून की बासमती’ सुनते ही मुंह में खुशबू, मिठास और कोमल चावल के दानों के स्वाद से भर जाता है…

3 years ago

वंशीनारायण मंदिर: उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जो साल में केवल एक दिन खुलता है

वंशीनारायण का मंदिर चमोली जिले की उर्गम घाटी के पास स्थित है. उर्गम घाटी से करीब 12 किमी की पैदल…

3 years ago

बचपन की छवियाँ

इजा कहती हैं कि मैं जब पेट में था तो कभी स्थिर नहीं रहा. जब मैं नौ महीने बीत जाने…

3 years ago

सालम के वीरों ने अपने हौसले और खून से लिखी क्रांति की भूमिका

1942 का साल था महिना अगस्त का. अंग्रेजों के खिलाफ़ विरोध की चिंगारियां अब गाँवों में विरोध की लपटों के…

3 years ago

चरैवेति चरैवेति के संदेश से अभिप्रेरित था ‘प्रताप भैया’ का व्यक्तित्व: पुण्यतिथि विशेष

वर्ष 1975 के जनवरी माह की कोई तारीख रही होगी, सही से याद नहीं, लेकिन इतना अवश्य याद है कि…

3 years ago

आखिर क्यों भूल गये हम ‘कालू महर’ को

भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में उत्तराखण्ड के काली कुमाऊं यानि वर्तमान चम्पावत जनपद का अप्रतिम योगदान रहा है. स्थानीय जन इतिहास…

3 years ago