परम्परा

अर्जुन का अवतार है कुमाऊं का ऐड़ी देवता

ऐड़ी (अहेरी) कुमाऊं मण्डल का एक बहुपूजित लोक देवता है. देवकुल में इसका महत्वपूर्ण स्थान है, सैम व गोरिया के…

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चौफुलिया, गणानाथ का गोलू देवता मंदिर

गोलू या गोल्ल कुमाऊं का सबसे बड़ा लोकदेवता माना जाता है. उनके तमाम छोटे-बड़े मंदिर तमाम जगहों पर देखे जा…

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काली कुमाऊं के जिमदार देवता अर्थात भूमिया की कथा

भूमि के देवता के रूप में जिमदार, भूमियाँ व क्षेत्रपाल, इन तीन नामों से पूजा जाता है. भूमिया जो भूमि…

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बिजली आने से पहले पहाड़ों की रामलीला में प्रकाश व्यवस्था

रामलीला मंचन के शुरुआती वर्षों में प्रकाश व्यवस्था के लिये चीड़ के पेड़ के छिल्कों का प्रयोग किया जाता था.…

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गणानाथ मन्दिर की अलौकिक विष्णु प्रतिमा

अल्मोड़ा से कोई 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गणानाथ का मंदिर मूलतः शिव का मंदिर है. समुद्रतट से 2116…

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एक त्रिशूल की आंखिन देखी

मैं, अर्थात गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर के प्रांगण में स्थित त्रिशूल, आँखिन देखी अपनी कथा सुनाकर जी हल्का करना चाहता…

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यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक संपदा सूची में शामिल कुमाऊनी रामलीला का इतिहास

कुमाऊं अंचल में रामलीला के मंचन की परंपरा का इतिहास लगभग 160 वर्षों से भी अधिक पुराना है. यहाँ की…

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आज है पिथौरागढ़ में चौपखिया मेला

पिथौरागढ़ मुख्यालय से आठ किमी की दूरी पर वड्डा बाज़ार स्थित है. करीब चालीस से पचास गावों के लिये वड्डा…

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गीत-नाट्य शैली पर आधारित है कुमाऊं में प्रचलित रामलीला

कुमाऊं अंचल में प्रचलित रामलीला गीत-नाट्य शैली में प्रस्तुत की जाती है. इसमें शास्त्रीयता का पुट मिलता है. कहा जाता…

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च्यूं मुसि च्यूं – पहाड़ के बच्चों के खेल गीत

रुद्रपुर में रहने वाले हेम पन्त की रचनाएं काफल ट्री के पाठकों के लिए अपरिचित नहीं हैं. (Children's Play Songs…

5 years ago