परम्परा

चैतोल पर्व : लोकदेवता देवलसमेत द्वारा सोरघाटी के बाईस गांवों की यात्रा का वर्णन

मध्यकाल में लगभग शत-प्रतिशत पहाड़ कृषि खेतीबाड़ी पर ही जीवनयापन करता था. जीवन प्रकृति के समीप था, आचार व्यवहार हर…

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आज होती सीमांत की अनोखी बिच्छू घास लगाने वाली बैशाखी

ले गुड़ खा, साल भर सांप-कीड़े नहीं दिखेंगे कहकर सुबह ही ईजा देशान* में गुड़ दे दिया करती थी और…

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चैत्र के महीने में उत्तराखंड के तीज-त्यौहार और परम्परा

सब ओर प्रकृति में हरियाली सज जाती है. नई कोंपलों में फूल खिलने लगते हैं. चैत मास लग चुका है.…

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द्वार पूजा का पर्व भी है फूलदेई

उत्तराखण्डियों का बालपर्व - फूलदेई सनातनी संस्कृति में घर का द्वार केवल घर में प्रवेश करने का रास्ता न होकर…

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फुलदेई : बसंत-पुजारी पहाड़ी बच्चों की आस का पर्व

बसंत पंचमी से प्रारम्भ बसंत मैदानी क्षेत्र में होली के साथ विदा ले लेता है पर पहाड़ में ये बैसाखी…

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कुमाऊं में होली की विधाएं

कुमाऊं में होली की चार विधाएं हैं -  खड़ी होली, बैठकी होली, महिलाओं के होली, ठेठर और स्वांग. खड़ी होली का…

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कालीचौड़ मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर भक्तों का ताँता और अखंड भंडारा

कालीचौड़ गौलापार में स्थित काली माता का प्रख्यात मंदिर है. हल्द्वानी से 10 किमी और काठगोदाम से 4 किमी की…

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चौली की जाली मुक्तेश्वर: जहां शिवरात्रि में होती है संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण

शिवरात्रि के पर्व मे आस्था का अनोखा मंजर सामने आता है मुक्तेश्वर के चौली की जाली नामक पर्यटक स्थल पर,…

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भ्वींन : रात में गाये जाने वाले धार्मिक कुमाऊनी गीत

भ्वींन को भ्वैन या भ्वैंनी भी कहते हैं. झोड़ा और चांचरी की तरह गाया जाने वाला यह समूह गीत वृत्ताकार…

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अतीत में बहुत स्वावलम्बी था हमारा पहाड़ी जनजीवन

कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है. मानव सभ्यता ज्यों-ज्यों विकास के सोपान चढ़ती गयी, वैज्ञानिक सोच और तकनीकी…

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