कॉलम

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 109

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

इन्हीं तस्वीरों जैसा धुंधला है पंचेश्वर जलागम का भविष्य

महाकाली और सरयू के संगम पर बसा पंचेश्वर पिछले लम्बे समय से खबरों में है. एक विशाल समाज और हजारों…

6 years ago

हींग लगे न फिटकरी, मालिक की जै-जै : मेले कैसे-कैसे

कहो देबी, कथा कहो – 34 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 33 वह नई शाखाओं के खुलने और…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 108

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 107

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 106

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

नाटक में नाटक

कहो देबी, कथा कहो – 33 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 32 नौकरी की आपाधापी में ही जब…

6 years ago

कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 105

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

6 years ago

शमशेर सिंह बिष्ट का एक आत्मीय संस्मरण

शमशेर सिंह बिष्ट ठेठ पहाड़ी थे. उत्तराखंड के पहाड़ी ग्राम्य जीवन का एक खुरदुरा, ठोस और स्थिर व्यक्तित्व. जल, जंगल…

6 years ago

और टंपरेरी ने अपनी आंख से यूं धुआं निकाला कि मुझे कभी नहीं भूला

पहाड़ और मेरा जीवन - 19 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के…

6 years ago