Featured

आज मधुबाला का जन्मदिन है

आज मधुबाला का जन्मदिन है. दुनिया की सबसे खुबसूरत अदाकारा के 85 साल पूरे होने पर गूगल ने मधुबाला का डूडल बनाया था. गूगल ने Madhubala’s 86th Birthday टाइटल से डूडल बनाया. अपने डूडल (Google Doodle) पर मधुबाला की एक कलरफुल इमेज बनाकर डाली थी.

मधुबाला 14 फरवरी 1933 को दिल्ली में जन्मी थी. मधुबाला (Madhubala) के बचपन का नाम मुमताज जहां देहलवी था. इनके पिता का नाम अताउल्लाह और माता का नाम आयशा बेगम था.

अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत मधुबाला ने 1942 में बसंत फिल्म से किया. इस समय मधुबाला की उम्र महज 9 साल थी. उस दौर की मशहूर अभिनेत्री देविका रानी की सलाह पर मुमताज जहां देहलवी ने अपना नाम मधुबाला रख लिया. मुमताज नाम से मधुबाला की आखिरी फिल्म नील कमल थी.

महज़ चौदह साल की उम्र में मधुबाला ने नील कमल फिल्म में राजकपूर के साथ काम किया. बांबे टॉकिज की फिल्म ‘महल में सफलता के बाद मधुबाला ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

मधुबाला (Madhubala) ने उस समय के सफल अभिनेता अशोक कुमार, रहमान, दिलीप कुमार और देवानंद जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया था.

एक बार फ्रेंक कापरा, इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में हिस्सा लेने के लिए बॉम्बे आए हुए थे. उन्होंने मधुबाला से मिलने की इच्छा जताई. एक इंटरव्यू में कहा था कि वह उनके सौंदर्य को देखकर मंत्रमुग्ध हैं. जब उन्होंने एक मैगजीन के कवर पर मधुबाला को देखा तो हॉलिवुड की एक फिल्म में रोल देने की पेशकश रखी. यह पेशकश जब मधुबाला के पिता के सामने रखी गई तो उन्होंने खारिज कर दी.

36 साल की उम्र में मधुबाला (Madhubala) ने लगभग 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. उन्होंने ‘बसंत’, ‘फुलवारी’, ‘नील कमल’, ‘मधुबाला’, ‘बादल’, ‘गेटवे ऑफ इंडिया’, ‘जाली नोट’, ‘पराई आग’, ‘अमर प्रेम’, ‘महल’, ‘इम्तिहान’, ‘अपराधी’, ‘शराबी’ और ‘ज्वाला’ जैसी फिल्मों में अभिनय से दर्शकों को अपनी अदा का कायल कर दिया. Madhubala’s 86th Birthday

– काफल ट्री डेस्क

[वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री]

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

स्वयं प्रकाश की कहानी: बलि

घनी हरियाली थी, जहां उसके बचपन का गाँव था. साल, शीशम, आम, कटहल और महुए…

11 hours ago

सुदर्शन शाह बाड़ाहाट यानि उतरकाशी को बनाना चाहते थे राजधानी

-रामचन्द्र नौटियाल अंग्रेजों के रंवाईं परगने को अपने अधीन रखने की साजिश के चलते राजा…

12 hours ago

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

1 day ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

1 day ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

1 day ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

2 days ago