हिमाचल वाला किस्सा यहां भी दोहराया गया. फर्क सिर्फ ये है कि शिमला में शर्मा जी थे और यहां हल्द्वानी…
थोथा देई उड़ाय-2 मुझे इस बात की भी कोफ़्त है खुद से, कि आज तक मेरा कलियुगी महासंस्कार नहीं हुआ.…
पहाड़ और मेरा जीवन – 41 पिछली कड़ी: आपकी एक छोटी-सी पहल कैसे आपका मुकद्दर संवार सकती है आज कुछ…
उत्तराखण्ड में विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पूरी तरह से खतरे में पड़ गई है. वैधानिक अधिकार न होने के बाद भी…
देहरादून निवासी युवा कवि राजेश सकलानी के पिछले कविता संग्रह पुश्तों का बयान का में कवि और उसकी कविता के…
इस साल काफी मेहनत के बाद लौकी व कद्दू की बेल अच्छी हुई है. लौकी में बालमृत्यु दर बहुत ज्यादा…
चरवाहे लोकदेवता कलबिष्ट की शरण में (एक लोक देवता के अंकुरण की पृष्ठभूमि)-बटरोही इतने सालों के बाद क्या उसका यह…
अल्मोड़ा से छः किलोमीटर दूर कसारदेवी पिछले पांच दशकों से अधिक समय से दुनिया भर के यात्रियों-संगीतकारों-दार्शनिकों-अध्येताओं और साहित्यकारों को…
हिंदी सिनेमा का एक सेट फार्मूला रहा है— नायक-नायिका. दोनों में अमीरी-गरीबी की खाई. इस खाई को पाटने की जद्दोजहद…
मैं पहाड़ी हूं बेरीनाग के बिनवा की तरह जिसने कुछ दिन पहले बेरोजगारी के कारण नुवान खाकर जान दे दी.…