हम सब उम्र के उस दौर में थे जिसे वय:संधि कहते हैं और जिसके वर्णन के बहाने पुराने कवियों ने…
उसने अपनी फुलौड़ी नाक को ज़रा सा टेढ़ीयाया और बोला- 'वरफ़ारी हो रई वरफ़ारी' (Personal Secretaries of Modern Politicians Satire)…
गढ़वाल में चैत के महीने में गाए जाने वाले लोकगीत चैती कहलाते हैं. अधिकतर लोकगीतों का वर्ण्य विषय लोकगाथाएँ होती…
इस बार हिमालयी फूलदेई पर्व की धूम समुद्र के तट पर भी खूब रही. इस वर्ष महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत…
उत्तराखण्डियों का बालपर्व - फूलदेई सनातनी संस्कृति में घर का द्वार केवल घर में प्रवेश करने का रास्ता न होकर…
ऋतुराज बसंत का स्वागत उत्तराखण्ड को देवभूमि के साथ उत्सवों की भी भूमि कहा जाय तो गलत नहीं होगा. यहाँ…
बसंत पंचमी से प्रारम्भ बसंत मैदानी क्षेत्र में होली के साथ विदा ले लेता है पर पहाड़ में ये बैसाखी…
मनुष्य का जीवन प्रकृति के साथ अत्यंत निकटता से जुड़ा है. पहाड़ के उच्च शिखर, पेड़-पौंधे, फूल-पत्तियां, नदी-नाले और जंगल…
होली जीवन के रंगों से जुड़ा, राग-लय और जीवन के उत्साह का त्योहार है. मुसलसल सर्द महीनों के दौरान प्रकृति…
अल्मोड़ा के छोटे से गाँव में रहती थी रजुली ताई. पति सेना में थे तो रजुली ताई भी अपनी जवानी…