कॉलम

शिक्षा जगत का बैल और खेतों का विद्यार्थी उर्फ़ भैया जी

हम सब उम्र के उस दौर में थे जिसे वय:संधि कहते हैं और जिसके वर्णन के बहाने पुराने कवियों ने…

5 years ago

ओएशडी सैप कह लो चाहे निजी शचिव कह लो – नीश हर जगह होने वाले हुए उत्राखंड में

उसने अपनी फुलौड़ी नाक को ज़रा सा टेढ़ीयाया और बोला- 'वरफ़ारी हो रई वरफ़ारी' (Personal Secretaries of Modern Politicians Satire)…

5 years ago

फूल बन कर खिलने वाली पर्वतपुत्री है फ्यूंली

गढ़वाल में चैत के महीने में गाए जाने वाले लोकगीत चैती कहलाते हैं. अधिकतर लोकगीतों का वर्ण्य विषय लोकगाथाएँ होती…

5 years ago

महाराष्ट्र के राजभवन में उत्तराखंड का लोक पर्व फूलदेई

इस बार हिमालयी फूलदेई पर्व की धूम समुद्र के तट पर भी खूब रही. इस वर्ष महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत…

5 years ago

द्वार पूजा का पर्व भी है फूलदेई

उत्तराखण्डियों का बालपर्व - फूलदेई सनातनी संस्कृति में घर का द्वार केवल घर में प्रवेश करने का रास्ता न होकर…

5 years ago

बसंत के इस्तकबाल का त्यौहार है फूलदेई

ऋतुराज बसंत का स्वागत उत्तराखण्ड को देवभूमि के साथ उत्सवों की भी भूमि कहा जाय तो गलत नहीं होगा. यहाँ…

5 years ago

फुलदेई : बसंत-पुजारी पहाड़ी बच्चों की आस का पर्व

बसंत पंचमी से प्रारम्भ बसंत मैदानी क्षेत्र में होली के साथ विदा ले लेता है पर पहाड़ में ये बैसाखी…

5 years ago

फूलदेई छम्मा देई दैण द्वार भरी भकार

मनुष्य का जीवन प्रकृति के साथ अत्यंत निकटता से जुड़ा है. पहाड़ के उच्च शिखर, पेड़-पौंधे, फूल-पत्तियां, नदी-नाले और जंगल…

5 years ago

पहाड़ की होली में आज भी परंपरागत सुगंध महसूस की जा सकती है

होली जीवन के रंगों से जुड़ा, राग-लय और जीवन के उत्साह का त्योहार है. मुसलसल सर्द महीनों के दौरान प्रकृति…

5 years ago

बुजुर्गों के दिल में बसता है पहाड़

अल्मोड़ा के छोटे से गाँव में रहती थी रजुली ताई. पति सेना में थे तो रजुली ताई भी अपनी जवानी…

5 years ago