front page

उत्तराखंड की काल कोठरी त्रासदी

उत्तराखण्ड में अनेक स्थानों पर सविनय अवज्ञा आन्दोलन ‘जंगलात आन्दोलन’ का रूप ले चुका था. पिथौरागढ़, लोहाघाट, चंपावत में जंगल सत्याग्रह तेजी से फैला. 1930 से 1932 के बीच पूरे राज्य में जंगलात आन्दोलन चला. इस आन्दोलन की शुरुआत सल्ट क्षेत्र से हुई.

30 नवम्बर, 1930 को सल्ट की चारों पट्टियों से 404 सत्याग्रहियों का जत्था मोहान को चल पड़ा. पिछली रात से ही पुलिस सहित, डिप्टी सुपरिटेन्डेन्ट पुलिस, एडीशनल मजिस्ट्रेट, कई पटवारी और कानूनगो इस जत्थे की प्रतीक्षा में थे. जत्थे के मोहान पहुँचने पर पुलिस सुपरिटेन्डेन्ट श्री ठाकुर सिंह, रानीखेत के एडीशनल मजिस्ट्रेट पंडित गोविन्द राम काला और कई पटवारियों व कानूनगो 30-35 पुलिस सिपाहियों ने, सत्याग्रहियों को घेर लिया. इसके बाद लाठियों और हंटरों से सत्याग्रहियों को पीटना शुरू कर दिया.

इस मारपीट के बीच के एडीशनल मजिस्ट्रेट पंडित गोविन्द राम काला ने सत्याग्रहियों से पूछा इसमें गांधी के चेले कितने हैं? गर्व से 58 आदमी आगे बढ़े. सभी को गिरफ्तार कर हथकड़ियों व रस्सियों से बांधकर जंगलात के निरीक्षण भवन लाया गया. यहाँ 11 फीट 10 इंच लम्बे और 10 फुट 6 इंच चौड़े कमरे में एकसाथ सभी को ठूंस दिया गया. पूरी रात सत्याग्रहियों ने खड़े-खड़े काटी. इस घटना की तुलना कलकत्ता की काल कोठरी त्रासदी (ब्लैक होल त्रासदी) से की जाती है.

दिसम्बर 1930 को सत्याग्रहियों को काशीपुर हवालात में भेज दिया गया और बिना मुक़दमा चलाये मुरादाबाद जेल में रखा गया. गांधी इरविन समझौते के आधार पर उन्हें छोड़ दिया गया.

जंगलात आन्दोलन का पिथौरागढ़ में संचालन कृष्णानन्द उप्रेती, चिंतामणि शर्मा, जमनसिंह वाल्दिया, सुरेशानंद बजेटा और लक्ष्मण सिंह महर ने किया. इन सभी ने 6 माह से साल भर तक की सजायें भोगी. गंगोलीहाट से श्री ईश्वरदत्त पंत को तीन माह की और शेरसिंह को 1 वर्ष की कड़ी सजा हुई. नैनीताल जनपद के कोटाबाग़-पाटकोट क्षेत्र में कमलापति जोशी, शिवसिंह, भवानी दत्त सुनौला, जीवानंद सुनौला, मोतीराम बधाणी, बाबा रामगिरी गोस्वामी, धर्मानंद जोशी और शंकर दत्त त्रिपाठी आदि  को तीन से डेढ़ वर्ष तक की जेल की सजाएं हुई.

मदन मोहन करगेती की पुस्तक स्वतंत्रता आन्दोलन तथा स्वातंत्र्योत्तर उत्तराखंड के आधार पर

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

3 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

7 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

7 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

7 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

7 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

7 days ago