उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा राज्य मन्त्री डॉ. धन सिंह रावत का कल 11 जुलाई 2019 को हल्द्वानी में दिया गया बयान तो यही जाहिर कर रहा है. राज्य मन्त्री कह रहे हैं कि कालेज में राजनीति करने वाले छात्रों को किताबें नहीं मिलेंगी. कालेज के छात्र यदि अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते हैं और नए पाठ्यक्रम के अनुसार नई किताबों व रिक्त पड़े अध्यापकों के पदों को भरने की मॉग करते हैं तो इसमें राजनीति होती है क्या? और छात्र राजनीति करना कब से संगीन जुर्म हो गया? यह राज्य मन्त्री बताने का कष्ट करेंगे क्या?
जब वे गढ़वाल विश्वविश्वविद्यालय में थे, तब उन्होंने छात्र राजनीति नहीं की क्या? और उस राजनीति के दौरान विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में एक भी दिन नहीं गए क्या? अगर वे विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में नहीं गए तो उन्होंने अपना शोध कैसे पूरा किया? बिना पुस्तकालय की मदद के उन्होंने अपना शोध पूरा किया है तो तब तो उस शोध के मौलिकता की जॉच भी की जानी चाहिए. और अगर उन्होंने पुस्तकालय की मदद से शोध पूरा किया तो अब इस तरह का गैर जिम्मेदार बयान क्यों कि जो छात्र कालेज में राजनीति करेगा, उसे किताबें नहीं मिलेंगी?
और क्या कालेजों में जितने भी छात्र संगठन सक्रिय हैं, उन सब पर प्रतिबंध की तै़यारी में है प्रदेश सरकार? बात चाहे, जो हो. उच्च शिक्षा राज्य मन्त्री का यह बयान उनकी व उनकी सरकार की भावी मंशा की ओर इशारा तो करता ही है. यह बयान यूँ ही दिया हुआ नहीं है. यह उनके सरकार की सोची व रची जाने वाली भविष्य की बड़ी साजिश की ओर स्पष्ट इशारा है. यह बयान उन्होंने यह देखने व जानने के लिए दिया है कि इस पर राज्य के छात्रों व दूसरे वैचारिक रुप से सक्रिय लोगों की प्रतिक्रिया क्या होती है?
अगर राज्य मन्त्री के इस बयान का मुखर विरोध हुआ तो वही एक पुराना रटा रटाया स्पष्टीकरण जारी हो जाएगा कि मेरे बयान को गलत तरीके से छापा गया है. सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है. छात्र राजनीति ने देश को बहुत बड़े – बड़े नेता दिए हैं. छात्र राजनीति छात्र हितों के लिए बहुत आवश्यक है आदि.
और अगर छात्रों, छात्र संगठनों व दूसरे लोगों की ओर से इस पर कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो फिर तय मानिए कि आने वाले दिनों में धीरे-धीरे किसी न किसी बहाने से छात्र राजनीति को कुंद कर के हमेशा के लिए दफ्न कर देने का कुचक्र शुरु हो जाएगा? क्या जागेगा उत्तराखण्ड का छात्र समुदाय?
जगमोहन रौतेला
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जगमोहन रौतेला वरिष्ठ पत्रकार हैं और हल्द्वानी में रहते हैं.
फायदेमंद है जोंक से अपना खून चुसवाना
19 दिनों से किताबों और शिक्षकों के लिये धरना दे रहे हैं पिथौरागढ़ के छात्रों की कहानी
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Uttrakhand ke sbi mahavidhyalayo ke students ko eksath hokar ladaai ladni hogi.......ye rajneta bas apna sochenge ... Ye nhi chahte hamara rajya vikaas ki or bde....bas parytan parytan karte huye uttrakhand ko dusre rajya se aaye tourist dwara failaye gandgi se is uttrakhand devo ki bhumi ko apavitra karna chahte h.....yadi sabi students ek sath ho jaye apne sahi karyo ke liye jo students ke liye uchit ho to sarkaar bilkul unki maange puri karegi....nhi to ye haal abi pithoragarh ka ho rha h....baki ka b no. Jald aane wala h............takecare