Featured

अल्मोड़ा-बिनसर-कसारदेवी में एक अद्भुत दिन

अंग्रेज़ी में एक कहावत है – “You made my day!”

ये कहावत अक्सर तब बोली जाती है जब किसी इंसान की वजह से आपका दिन बन जाए, पर तब क्या बोला जाए जब एक दिन के वजह से ही आपका दिन बन जाए! एक प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर होने के कारण अक्सर ऐसा होता है कि एक खूबसूरत दिन, पूरा दिन और जीवन सफल कर देता है और आपको दुनिया भर की दौलत, शोहरत मिलने से भी बढ़ कर कुछ दे जाता है. (Beautiful Day in Almora Binsar Kasardevi)

ऐसा ही एक दिन गुजरा बीते 2 अक्टूबर को जिसकी शुरुआत हुई सुबह सुबह बिस्तर से उठते ही शानदार इन्द्रधनुष से, जो शायद कई वर्षों के बाद इतना सुंदर दिखाई दिया. उसके बाद दिन में बिनसर के जंगल में छोटे किन्तु एडवेंचर और प्रकृति से भरपूर ट्रेक को कर जंगल के बीचों बीच स्थित निर्मल बहते पानी की धारा तक पहुंचे. (Beautiful Day in Almora Binsar Kasardevi)

इस दौरान बीच में तरह तरह के जंगली फूल भी मिले. शाम को कसार देवी आते आते अद्भुत हिमालय सामने दिख रहा था जो ढलते सूरज की रोशनी में अपनी स्वर्णिम आभा बिखेरने लगा.

नंदा देवी और त्रिशूल की सोने जैसी चमक तो देखने लायक थी जो भी उस रास्ते गुजरा बस खड़े होकर इस आनंददायक दृश्य को निहारता रहा.

और इस तरह वह दिन बना That day which made my day! इस पूरे दिन में लिए फोटोग्राफ्स में से कुछ चुनिंदा फोटो

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago