इस बात को समझिए कि अगर आप रोज एक पेज लिखेंगे, तो एक दिन आप बड़े लेखक बन जाएंगे. अगर रोज एक घंटा गाने का रियाज करेंगे, तो एक गायक बन जाएंगे. रोज एक घंटा दौड़ने का अभ्यास करेंगे, तो एक धावक बन जाएंगे. हम जो भी रोज करते हैं, जिस काम को भी रोज दोहराते हैं, वही बन भी जाते हैं. इस लिहाज से आप जो बनना चाहते हैं, खुद को आप जिस रूप में देखना चाहते हैं, आप वही काम रोज करना शुरू कर दीजिए. एक दिन आप खुद ब खुद वही बन जाएंगे.
(Be the Emperor of Your Destiny)
सच यही है कि हम वैसे ही व्यक्ति होते हैं, जैसी हमारी आदतें होती हैं. आदत का अर्थ है किसी काम को बार-बार करना. किसी काम की आदत हो जाने का अर्थ है कि अब वह काम आपके लिए मुश्किल नहीं रह गया. वह आसान हो गया. आदत बनने से पहले तक ही कोई काम हमारे लिए मुश्किल होता है. वह मुश्किल होता है क्योंकि तब तक हमारे मस्तिष्क में उस काम को करने से बनने वाला न्यूरॉन का सर्किट नहीं बना होता है.
हम जिस काम को जितनी बार करते जाते हैं उस काम से दिमाग में बनने वाला न्यूरॉन का सर्किट उतना ही मजबूत होता जाता है. यह सर्किट जितना मजबूत होता जाता है हमारे लिए वह काम भी उतना आसान होता जाता है. यानी अगर आप किसी काम को अपने लिए आसान बनाना चाहते हैं, तो उसे बार-बार करना शुरू कर दीजिए. बार-बार करेंगे, तो दिमाग में न्यूरॉंस का सर्किट मजबूत बनेगा और वह आदत बन जाएगा. आदत बन जाने के बाद कोई भी काम कष्ट नहीं देता, बल्कि आनंद देने लगता है.
आदतों की दूसरी खासियत यह है कि आप एक साथ कई आदतें बना सकते हैं. असल में हमारा पूरा व्यक्तित्व हमारी आदतों का ही लेखा-जोखा होता है. मैं सुबह ब्रह्म मूहूर्त में उठने की आदत को शहंशाही आदत मानता हूं क्योंकि इसका आपको जितना लाभ मिलता है, उतना किसी और आदत से नहीं मिल सकता. जिन लोगों की सुबह जल्दी उठने की आदत नहीं है उनके लिए सुबह जल्दी उठने का काम एवरेस्ट की चोटी फतह करने से कम नहीं. लेकिन जिन्होंने इसे अपनी आदत बना लिया है वे इसे छींक आने पर छींक देने जैसा आसान काम मानते हैं. उन्हें पूरे दिन बेतरह थकाने वाले काम करवाकर डनलप के गद्दों पर भी सुला दिया जाए, तो भी सुबह चार बजते ही उनकी आंख खुल जाती है. सुबह जल्दी उठने वाले लोग सुबह देर में उठने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा सफल इसलिए होते हैं क्योंकि उन्हें काम करने के लिए दूसरों की तुलना में रोज 3-4 घंटे ज्यादा मिलते हैं. सवाल सिर्फ सुबह जल्दी उठने का नहीं.
(Be the Emperor of Your Destiny)
आदत की बात करें तो ऐसी दर्जनों आदतें हैं जिन्हें अपनाकर आप सहज ही दूसरों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ, ज्यादा हुनरमंद हो सकते हैं और ज्यादा आनंद से भरा जीवन जी सकते हैं. आदत बना लेने के बाद आप नंगे पैर दौड़ लगा सकते हैं. लोग आपको देखकर हैरान होंगे और आप लोगों को देखकर हैरान होंगे कि वे हैरान हो क्यों रहे हैं. क्योंकि आदत बन जाने के बाद आपको नंगे पांव दौड़ना बहुत सहज और प्राकृतिक लगने लगेगा. आदत बन जाने के बाद आप रोज उबली हुई सब्जियों वाला भोजन पसंद करना शुरू कर सकते हैं. वह आपको मसाले वाली सब्जियों की तुलना में कहीं ज्यादा स्वादिष्ट और सेहतमंद लगने लगेगा.
आदतों के मामले में सबसे बड़ा सुभीता यह है कि हमें सिर्फ कुछ दिनों तक थोड़ी असुविधा होती है. लेकिन यह समझ लें कि प्रकृति ने मानव को ऐसा बनाया है कि वह कितने भी मुश्किल काम की आदत बना सकता है. ऐसे तपस्वी योगी साधू हैं जो हिमालय में बफीर्ली गुफाओं में भी नंगे बदन रहते हैं. उन्होंने ठंड सहने को भी अपनी आदत में शुमार कर लिया. हम सब जानते हैं कि एक स्वस्थ, सेहतमंद और आनंद से भरे और सफल जीवन के लिए हमें क्या-क्या काम करने चाहिए. आप उन कामों की शिनाख्त कर उन्हें अपनी आदतों में शुमार कर लें और फिर देखें जिंदगी आपके मनचाहे अंदाज में कैसे सरपट भागती है और कैसे आप देखते ही देखते अपने नसीब के शहंशाह बनते हो.
(Be the Emperor of Your Destiny)
-सुंदर चंद ठाकुर
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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