देश के विभिन्न सूबे सहित उत्तराखंड इन दिनों कोरोना की काली छाया से बचे रहने के लिए लॉकडाउन का पालन कर रहा है. सामाजिक दूरी इसकी पहली शर्त है, इसलिए सभी लोग अपने घरों में बने हैं. इधर के कुछ दिन बेहद चुनौती भरे हैं. इसका मतलब सिर्फ इतना है कि हम सब बेहतर कल की ओर घरों में सुरक्षित रहकर तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसी स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती हर किसी के लिए यह है कि वह अपनी सकारात्मकता को कैसे बनाये रखें, जो लॉकडाउन के वक्त बनी जड़ता की हवा निकाल सकें. Article by Santosh Kumar Tiwari
इन दिनों बेहतर जीवन शैली/ दिनचर्या निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में गुणात्मक परिवर्तन ला सकती है. कहते हैं खाली दिमाग शैतान का घर, इस जुमले को सिर्फ़ आप झूठा साबित कर सकते हैं. यही वह समय है जब तमाम लोग चिड़चिड़े, तनावग्रस्त व कुछ तो अवसाद मे डूबने उतराने लगते हैं तो सावधान हो जाइए.
इससे बचने के लिए आपको अलग से कुछ नहीं करना है. सबसे पहले सभी अवस्था के स्त्री-पुरुष सोने व जगने के पुराने नियम में कोई बदलाव न करें. सुबह उठकर घर में/बालकनी मे थोड़ी चहलकदमी जरूर करें. अपनी क्षमतानुसार योगासन व सुमधुर संगीत का सहारा लेना भी किसी औषधि से कम नहीं होगा. इन दिनों में नाश्ता पौष्टिक व हल्का ज्यादा सही होगा. आप लोग अपनी शौक के मुताबिक मनपसंद कामों को तरजीह दीजिये.
बागवानी, किताबें पढ़ना, छतों पर घूमते वक्त दूरी रखते हुए अपने पड़ोसियों का हालचाल जरूर पूँछना हरगिज़ नहीं भूलना है. बच्चे दिन भर मोबाइल या वीडियो गेम चलाने के बजाय विज्ञान व गणित के सवालों पर फोकस करें . प्रोजेक्ट वर्क के अधूरे सामानों को लेकर कुछ नया बनाने की सोचकर देखें. वहीं गृहणियाँ ताजा खाना खाने व खिलाने का संकल्प लें, यह स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत जरूरी है.
साथ ही अपने रसोई एवं बाथरूम की विशेष सफाई के अलावा बेकार पड़ी चीजों को दोबारा उपयोगार्थ कैसे बनायें , इस पर अपना ध्यान केंद्रित करें. ऊनी कपड़ों को धूप दिखाकर उसमे फुनेन की गोली डालना न भूलें. घर बड़े लोग पढ़ने की ओर उन्मुख हों. अपनी पसंद किताबें, नेट पर आनलाइन हिंदी अंग्रेजी साहित्य को सर्च करके बहुत कुछ जाना-पढ़ा जा सकता है. यदि लेखन का शौक है तो लॉकडाउन के दिनों में अपने अनुभवों को कागज पर लिखकर अपनों को अवगत करना मत भूलिये. Article by Santosh Kumar Tiwari
यह आपकी सृजनात्मकता के साथ ही साथ आपकी सकारात्मक व चिंतनशील होना प्रमाणित करेगा. घर के बुजुर्ग बच्चों को साथ बिठाकर उन्हें अपने अनुभव साझा कर सकते हैं. क्यारी को पानी देना, फूलों के गमलों की सफाई, हल्के फुल्के व्यायाम, पूजापाठ करके खुशहाल परिवेश बनाने मे मददगार हो सकते हैं.
अपने-अपने कार्यालयों के काम को घर पर निपटाते रहिये, इसमें मन को बड़ा संतोष मिलेगा. सुबह का नाश्ता, लंच व डिनर सब साथ बैठकर करें तो सभी आनंदित होंगे. आम दिनों में यह सुअवसर चाह कर भी नहीं मिलता. इतना सब कुछ घर पर रहते हुए जो परस्पर सहयोग से आपने सीखा-जाना वह आपको नयी ताजगी व उल्लास से भरने के लिए काफी होगा और स्मरणीय भी.
प्रस्तुत का हौसले से *वेलकम* करने के अलावा दूसरा चारा भी नहीं. पटरी से उतरी दिनचर्या से उपजे मनोभाव हम पर हावी हों इससे पहले उसकी अकड़ तोड़ना समय की सबसे बड़ी माँग है. Article by Santosh Kumar Tiwari
सन्तोष कुमार तिवारी
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रामनगर के राजकीय इण्टर कॉलेज, ढिकुली में प्रवक्ता के पद का कार्यरत संतोष कुमार तिवारी के दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. हिन्दी साहित्य की एक विधा गद्यकाव्य, लेखन को लेकर संतोष की खासी पहचान है.
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