भोजन का आनंद लेना है, तो भूख लगनी जरूरी है. नींद का आनंद लेना है, तो थकान होनी जरूरी है. सुविधाओं का आनंद लेना है, तो मुश्किलों में, तकलीफों में जीने का अनुभव जरूरी है. वह जिसे भूख ही नहीं लगती, उसके पास बहुत सारा स्वादिष्ट भोजन हो भी तो क्या लाभ.
वह जो काम करके, व्यायाम करके थकता ही न हो, उसके पास सोने को बहुत सुकोमल बिस्तर भी हो तो भी उसे नींद का सुख नहीं मिलने वाला. जिसने शारीरिक और मानसिक तपश्चर्या नहीं की हो, उसके लिए सुविधाओं का भी कोई मोल नहीं रह जाता. यह जान लें कि प्रकृति की जरूरतों के मुताबिक जीने में ही परम सुख है.
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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