आधुनिक नैनीताल के निर्माताओं में शुमार दशकों तक नैनीताल की शिक्षा, उद्यम, पर्यटन और पर्वतारोहण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नैनीताल की मोमबत्ती और मौन पालन उद्योग को नई ऊंचाइयां देने वाले युग दृष्टा स्व श्री चंद्र लाल साह ठुलघरिया “बुजू” जिन्हें 80 और 90 के दशक में कई बार पद्मश्री से नवाजे जाने की खबरें ताजा होती रहीं, लेकिन हर बार खबर निराशा मे तब्दील होती रही.
चंद्र लाल साह का यह मानना था कि अगर मेरे कार्य का समाज निर्माण में योगदान माना जाता है तो क्या मुझे खुद किसी पुरस्कार की मांग करनी चाहिए? उन्होंने कभी भी अपने नाम का औपचारिक प्रत्यावेदन हस्ताक्षर कर पुरस्कार के लिए आगे नहीं बढ़ाया. शायद यही वजह रही कि बार-बार पर्याप्त आधार के बाद भी पद्मश्री तथा अन्य पुरस्कारों से वह वंचित ही रह गए.
यह एक सुखद संयोग है कि स्वर्गीय चंद्र लाल साह को पद्मश्री पुरस्कार दिए जाने की चर्चाएं तो होती रही. लेकिन पदमश्री पुरस्कार आखिर उनके योग्य पुत्र अनूप साह को इस वर्ष 2019 में मिल ही गया. अनूप साह का जन्म 4 अगस्त 1949 को नैनीताल में हुआ.
यह भी एक संयोग ही है कि इस वर्ष चंद्र लाल साह द्वारा स्थापित नैनीताल माउंटेनरिंग क्लब का स्वर्ण जयंती समारोह 28 ,29 सितंबर 2018 को मनाया गया. स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के मंच से यह बात भी उभर कर आई कि अनूप शाह द्वारा चंद्र लाल साह के अधूरे कार्यों को उसी शिद्दत के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है. इसलिए पद्मश्री की जो चर्चाएं चंद्र लाल साह के साथ जुड़ी रहती थी वह अब हकीकत बन जानी चाहिए. मात्र 4 माह में यह बात सच साबित हो गई इसके लिए चयन समिति का आभार.
चंद्र लाल साह की तरह श्री अनूप साह का भी बहुआयामी व्यक्तित्व है वह जहां माउंटेनियर हैं, पर्यावरण प्रेमी हैं वहीं एक ख्यातिप्राप्त अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर भी हैं. फोटोग्राफी का यह हुनर स्वर्गीय चंद्र लाल साह द्वारा ही अनूप साह में रोपित किया था. उन्हें कर्नल बक्शी के साथ नेचर फोटोग्राफी सीखने के लिए एक कैमरा सन 1980 के आसपास गिफ्ट किया था. उन दिनों फोटोग्राफी एक महंगा शौक था.
अनूप साह को जब लगने लगा कि वह एक बेहतर फोटोग्राफ हो गए हैं ,तो उन्होंने अखिल भारतीय-एशिया स्तर की एक फोटोग्राफी प्रदर्शनी वर्ष 1986 में नैनीताल में आयोजित की. लेकिन यह बड़े आश्चर्य का विषय था कि अनूप साह और उनके साथी अन्य स्थानीय फोटोग्राफर का कोई भी फोटोग्राफ प्रदर्शनी के लिए नहीं चुना गया. तकनीकी आधार पर उन पर कुछ ना कुछ कमियां रह गई थी .लेकिन इस आयोजन ने उन्हें एक व्यवसायिक फोटोग्राफर के टिप्स सिखा दिए. और अपने मजबूत इरादों के साथ वह बहुत जल्दी अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर स्थापित हो गए.
वर्ष 1994 में इंडिया इंटरनेशनल फोटोग्राफिक काउंसिल IIPC ने उन्हें प्लैटिनम ग्रेड अवार्ड 1997मे और 2002 में डायमंड ग्रेड अवार्ड से नवाजा. साथ ही वह वर्ष 1990 ,1995 ,2001, 2003 से 2005 तक इंडियास टॉप टेन फोटोग्राफर में शामिल रहे. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 350 से अधिक पुरस्कार फोटोग्राफी क्षेत्र में उन्हें प्राप्त हो चुके हैं.भारत के विभिन्न संस्थानों, बैंको में उनके फोटोग्राफ्स के कैलेंडर देखे जा सकते हैं इसी के साथ इंग्लैंड और अमेरिका के आधिकारिक संस्थानों में भी उनके फोटोग्राफ्स गैलरी-कैलेंडरके लिए चुने गए हैं. श्री अनूप शाह न केवल फोटोग्राफर है बल्कि एक पेशेवर माउंटेनियर भी हैं.
वह 1974 पहले नंदा देवी अभियान दल के सदस्य भी रहे, नंदा खाट,केदार डोम आदि आधा दर्जन चोटियां फतह की और आज नैनीताल माउंटेनिरिंग क्लब के अध्यक्ष हैं. आज भी अपना पूरा समय फोटोग्राफी और पर्वतारोहण के उत्थान को समर्पित है. उनके समर्पण को सरकार ने मान्यता दी और इस वर्ष का पद्मश्री पुरस्कार दिया. अनूप साह को इस पुरस्कार के लिए बधाई कि एक शानदार विरासत का सम्मान हुआ.
अनूप साह द्वारा ली गयी कुछ तस्वीरें देखिये-
वाट्सएप में काफल ट्री की पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें. वाट्सएप काफल ट्री
प्रमोद साह
हल्द्वानी में रहने वाले प्रमोद साह वर्तमान में उत्तराखंड पुलिस में कार्यरत हैं. एक सजग और प्रखर वक्ता और लेखक के रूप में उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफलता पाई है. वे काफल ट्री के लिए नियमित लिखेंगे.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…