‘गरुड़ा बटी छुटि मोटरा रुकि मोटरा कोशि’ के बहाने वीरेनदा की याद

6 years ago

वीरेन्द्र डंगवाल : कविता और जीवन में सार्थक भरभण्ड -नवीन जोशी गरुड़ बटी छुटि मोटरा, रुकि मोटरा कोशिअघिला सीटा चान-चकोरा,…

कुछ कविता-टविता लिख दी तो हफ़्ते भर ख़ुद को प्यार किया

6 years ago

कुछ कद्दू चमकाए मैंने -वीरेन डंगवाल कुछ कद्दू चमकाए मैंने कुछ रास्तों को गुलज़ार किया कुछ कविता-टविता लिख दी तो…

दर्शकों से खीझकर गुरुदत्त ने बनाई थी चौदहवीं का चाँद

6 years ago

‘कागज के फूल’ के न चलने की वजह से गुरुदत्त को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि आत्मिक रूप से…

हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने – 16

6 years ago

आज का नैनीताल डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड जिस शान से खड़ा है और अपने कारोबार के डंक के बजा रहा…

चंद्र सिंह गढ़वाली का परिवार बेदखली की कगार पर

6 years ago

पेशावर कांड के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली को वीर यूं ही नही कहा जाता. उनकी वीरता के कायल भारतीय ही…

तुम किसकी चौकसी करते हो रामसिंह ?

6 years ago

रामसिंह -वीरेन डंगवाल दो रात और तीन दिन का सफ़र तय करके छुट्टी पर अपने घर जा रहा है रामसिंह…

ये है उत्तराखंड की विधानसभा का हाल

6 years ago

सरकार के ठेंगे पर विधानसभा -जगमोहन रौतेला पिछले दिनों हुए विधानसभा के मानसून सत्र में भाजपा सरकार के अनेक मन्त्रियों…

साझा कलम: 5 – कौशल पन्त

6 years ago

[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर…

सिनेमा एक तरह का त्राटक है

6 years ago

अँधेरे में बैठकर एक जगमगाते स्क्रीन को देखना एक तरह का त्राटक ही है. आप आसपास की सारी दुनिया भूल…

सूरज की मिस्ड काल – 4

6 years ago

धूप अलसाई सी लेटी है सुबह दरवाजा खोलते ही धूप दिखी. एकदम दरवज्जे तक आकर ठहरी हुयी सी. जैसे सूदूर…