हुम्ला-जुम्ला के घोड़े: पहाड़ी व्यापारियों के सबसे पसंदीदा घोड़े

3 years ago

आज भी जौलजीबी मेले का नाम सुनते ही लोगों के ज़हन में काली पार, एक खुले मैदान में खड़े घोड़ों…

लोककथा : दुबली का भूत

3 years ago

सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्रों में स्थायी निवास के साथ-साथ प्रायः एक अस्थाई निवास बनाने का चलन है, जिसे छानी या खेड़ा…

यादों में हमेशा जिंदा रहेगा अमरिया

3 years ago

पड़ोस के गांव गंगनौला की चाची का परिवार टनकपुर के लिए पलायन कर गया तो उन्होंने अपनी दुधारू गाय सस्ते…

प्रथम विश्वयुद्ध के अनुभवों पर उत्तराखण्ड के अज्ञात सैनिक का रचा लोकगीत

3 years ago

आज से 102 साल पहले, साल 1918 के 11वें महीने का 11वां दिन और समय सुबह के ठीक 11 बजे.…

सुनिए शेरदा अनपढ़ की संगीतबद्ध कविता ‘को छै तू’

3 years ago

इस तरह आने वाली पीढ़ी विरासत को संभालते हुए सम्मान देती है, आगे बढ़ाने में अपना योगदान देती है. शेरदा…

100 सालों में पहली दफ़ा नहीं लगेगा ऐतिहासिक जौलजीबी मेला

3 years ago

पिछली एक सदी में यह पहली बार होगा जब ऐतिहासिक जौलजीबी के मेले का आयोजन नहीं किया जायेगा. 1962 के…

नकुलेश्वर मंदिर: सदियों पुरानी मूर्तियों वाला एक मंदिर

3 years ago

नकुलेश्वर मंदिर पिथौरागढ़ जिले में स्थित है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडव भाइयों में नकुल द्वारा…

पहाड़ की बाखलियों के भिड़ महज घरों के आगे की निर्जीव दीवार भर नहीं हुआ करती

3 years ago

पहाड़ के खोईक भिड़ महज घरों के आगे की निर्जीव दीवार भर नहीं हुआ करती बल्कि यहां के पारिवारिक, सामाजिक…

दिवाली के बताशों में मिठास भरते हैं वनभूलपुरा के रियाज़ हुसैन उर्फ लल्ला मियां

3 years ago

दीपावली की पहचान खील-खिलौने और बताशों से ही है जनाब. उम्र के सौ वर्ष पूरे चुके हल्द्वानी वनभूलपुरा निवासी रियाज़…

पहाड़ में दिवाली, धान और उसके पकवान

3 years ago

दिवाली में जिस धान्य का सबसे ज्यादा प्रयोग होता है वह है धान. धान को शुभ माना जाता है. देवता…