वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने अपनी फेसबुक वाल पर एक पोस्ट शेयर की है. पोस्ट उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़ी है. यह पोस्ट रवीश कुमार की वाल से उनकी अनुमति से साझा की गयी है: सम्पादक
(District Hospital Pithoragarh)
“अभी मैं डिस्टिक हॉस्पिटल पिथौरागढ़ में हूं जहां पर एक मरीज जिनका नाम बहादुर राम है झुलाघाट के निवासी हैं डॉक्टर ने इनको ब्रेन हेमरेज बताया है और तुरंत हल्द्वानी सुशीला तिवारीn हॉस्पिटल में भर्ती करने को कहा है लेकिन इनको हल्द्वानी ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल रही है और पिथौरागढ़ से हल्द्वानी तक का एंबुलेंस का खर्चा ₹7000 बताया है बहादुर राम एक गरीब बीपीएल परिवार से हैं !
पिथौरागढ़ जिले में 4 विधायक हैं और लोकसभा सांसद एक राज्यसभा सांसद और अन्य तमाम जनप्रतिनिधि है और डीएम से लेकर तमाम अधिकारी मौजूद हैं लेकिन यह सभी हमारे किसी काम के नहीं रहे!उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है, और इन्होंने कैसी तैयारी कर रखी है वह हमें इस बात से पता चलता है कि यहां पर एंबुलेंस तक मरीज को उपलब्ध नहीं हो पा रही और जिला हॉस्पिटल पिथौरागढ़ में न्यूरोलॉजिस्ट का डॉक्टर नहीं है जिस वजह से हमें हल्द्वानी जाना पड़ रहा है. पिथौरागढ़ के और उत्तराखंड के इन थर्ड क्लास नेताओं की वजह से आम आदमी इलाज ना मिलने के कारण मर रहा है”
(District Hospital Pithoragarh)
ये बात मैंने तीन दिन पहले लिखी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में बहादुर राम की मृत्यु हो गई, पांच से छह घंटे तक मौत से लड़ते हुए अंततः बहादुर राम चल बसे, सवाल यह है कि उनकी मौत का ज़िम्मेदार कौन है,और गरीब ही क्यों मरे, उनके दो बच्चों की आगे ज़िन्दगी क्या होगी.. सीमान्त जिले और दबे कुचले वर्गो की परवाह किसी को नहीं, इतनी अमानवीयता है हम जायें तो कहाँ????अपने नागरिक का जीवन बचाने का काम सरकार का पहला काम होना चाहिए, अगर ज़िन्दगी ही ना रहे तो सरकार भी हमें क्या चाहिए.
सीमान्त जिलों और दबे कुचले वर्ग के लोगों की यह अनदेखी है.. हमारा विश्वास सरकार और तंत्र से उठता जा रहा है.. कोई उम्मीद नहीं…
व्हाट्स एप में मैसेज आया है…
(District Hospital Pithoragarh)
–रवीश कुमार
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