Featured

कुमाऊं का एक राजा जिसके खिलाफ रसोई दरोगा और राजचेली ने षडयंत्र रचा

ई. शर्मन ओकले ने अपनी किताब ‘होली हिमालयाज’ में लिखा है कि चंद राजाओं के समय राजा ने आत्मरक्षा के लिये जो नियम बनाये वह रूस के जार के नियमों से भी कठोर थे. दरसल ओकले जिन नियमों के आधार पर कुमाऊं के छोटे से राजा की तुलना रुस के जार से कर रहे हैं वह राजा त्रिमलचंद ने बनाये थे. उत्तराखंड के इतिहास यह नियम रसोई दरोगा के लिये नियम और राजचेलियों के लिये नियम नाम से जाने जाते हैं. यह नियम सबसे पहले बनाने वाला चंद शासक त्रिमलचंद ही था.

राजा त्रिमलचंद से पहले कुमाऊं का राजा विजयचंद हुआ करता था. विजयचंद कम उम्र में राजा बना. चंद राजाओं में जब अय्यास राजाओं की सूची बनती है तब एक मुख्य नाम विजयचंद का भी आता है.

बद्रीदत्त पांडे की पुस्तक कुमाऊं का इतिहास में लिखा गया है कि विजयचंद के काल में सारी शक्ति शकराम कार्की, पीरु गोसांई और विनायक भट्ट के हाथों थी. इन तीनों ने विजयचंद की अय्यासियों में इजाफ़ा कर उसे रनवास में वेश्याओं और नाच-गाने में व्यस्त रखा और अपने मन के हिसाब से राजकाज चलाया.

1624 से 1625 तक राजा रहे विजयचंद के काल में इन तीनों ने खूब अत्याचार किये. 1625 में एकबार विजयचंद ने अपनी इच्छानुसार मल्ला महल का दरवाजा बनाया. यह बात इन तीनों को इतनी खटकी की उन्होंने विजयचंद की हत्या का षडयंत्र रचा.

इस समय राजमहल में खिदमत के लिए राजचेलियों का दस्तूर था. राजा का खाना बनाने वालों से लेकर उसे परोसने वालों पर विशेष निगरानी रखने वाला व्यक्ति रसोई दरोगा कहलाता था. शकराम कार्की ने रसोई दरोगा और एक राजचेली के साथ मिलकर एक षडयंत्र रचा.

इसके अनुसार राजा के खाने के बाद राजलेची ने ऊंची आवाज से कहा, ततरिया गरम पानी हाथ धोने को ला. राजा हाथ धोने को दूसरे कमरे में जाता था. राजचेली की आवाज सुनकर शकराम कार्की वहां गया और उसकी विजयचंद की गला घोंट कर हत्या कर दी.

कहा जाता है कि राजा विजयचंद मृत्यु के समय अफ़ीम के नशे में था शकराम और उसके साथियों ने विजयचंद की मृत्यु अधिक अफ़ीम लेने के कारण हुई, अफ़वाह फैला दी.

विजयचंद के खिलाफ़ हुये षडयंत्र के कारण ही उसके तुरंत बाद बने राजा त्रिमलचंद ने रसोई दरोगा और राजचेलियों के लिये कठोर नियम बनाये. त्रिमलचंद ने ही नीलू कठायत के वंशज को रसोई दरोगा के पद पर नियुक्त किया. नीलू कठायत चार पुश्तें इस पद पर बनी रही.

संदर्भ ग्रन्थ : एटकिंसन गजट, कुमाऊं का इतिहास, होली हिमालयाज.

– काफल ट्री डेस्क

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

सौ साल पुराने कुमाऊँ की तस्वीरें

राजा ज्ञानचंद को गरुड़ज्ञानचंद क्यों कहते हैं?

कुमाऊं के इतिहास में मंगल की रात और नगरकोटियों की जुल्फें

जब कोसी और सुयाल नदी के संगम पर 700 नागा सन्यासी मारे गये

गढ़वाली राजा जिसके आदेश पर प्रजा अंग्रेजों की मुर्गियां और कुत्ते पालकी में ढ़ोती थी

कुमाऊं में मोटर यातायात की शुरुआत

एक फायर के तीन शिकार कुली, मुर्गी और ‘अल्मोड़ा अख़बार’

चम्पावत का किला, राजबुंगा, चम्पावत गढ़ी

कत्यूरी राजा त्रिलोकपाल के बेटे राजकुमार अभयपाल ने बसाया था अस्कोट

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

2 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

4 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

1 week ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

2 weeks ago