फोटो : प्रो. मृगेश पांडे
पहाड़ में कुछ काम करने न करने पर कुछ लोक विश्वास भी बने रहे जैसे यात्रा करने में वारदोख का विचार. व्यक्ति की पूरब दिशा की ओर सोम बार और छनचर को पश्चिम की तरफ, इतवार और शुक्र को उत्तर की ओर, मंगल और बुद्ध को दखिन की ओर, बीपे या बृहस्पत को जाना ठीक नहीं, इसका बारदोख लगता है. (Traditional Belief In Kumaon)
ऐसे ही छनचर छाड़ मंगल मिलाप नहीं होता जिसका मतलब है कि शनिवार को घर छोड़ कर नहीं जाते और मंगल को रिश्तेदारी में नहीं जाते. बिरादरी में किसी के गुजर जाने पर मंगल, बीपे व शनि का दिन तय होता है.
सरकारी काम या नौकरी में जाने के लिए शनिवार व मंगल अच्छा माना गया है. घर से बाहर जाते किसी का छींकना या रस्ते में या दाएं छींक का स्वर या अपनी ही छींक भी अपशकुन मानी जाती है.
बिराऊ या बिल्ली का रास्ता काटना, सुबह सबेरे किसी को नंगभूतंग या हगते देखना भी भंचक लगना माना जाता है. मंसाती या मासांत, संक्रान्ति, पुन्यु, अमूस व पर्व के दिन अजोत होता है, इन दिनों खेत नहीं जोतते.
ऐसे ही सोते समय पश्चिम तथा दक्षिण की ओर सिरहाना नहीं रखते स्त्रियों के अलग होने के दिनों में उनके द्वारा भोजन पकाने, पूजा पाठ करने, साथ रहने सोने की मनाही होती है. इसे क्वीड में रहना कहा जाता है. (Traditional Belief In Kumaon)
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जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी करते रहे प्रोफेसर मृगेश पाण्डे फिलहाल सेवानिवृत्ति के उपरान्त हल्द्वानी में रहते हैं. अर्थशास्त्र के अतिरिक्त फोटोग्राफी, साहसिक पर्यटन, भाषा-साहित्य, रंगमंच, सिनेमा, इतिहास और लोक पर विषदअधिकार रखने वाले मृगेश पाण्डे काफल ट्री के लिए नियमित लेखन करेंगे.
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