समाज

अल्मोड़े के उस फूलों वाले पेड़ से जुड़ी हैं हम-आप जैसों की कितनी ही स्मृतियाँ

2006 का साल था. हमने उत्तराखंड के सबसे बेहतरीन उच्च शिक्षा परिसरों में गिने जाने वाले कुमाऊँ यूनिवर्सिटी के सोबन सिंह जीना परिसर, अल्मोड़ा में बी. एस. सी में दाखिला लेने के लिए अप्लाई कर रखा था. सोबन सिंह जीना परिसर का इतिहास शानदार रहा है और यहाँ से निकलने वाले पूर्व छात्रों में अनेक आईएएस, आईपीस, वैज्ञानिक, इंजीनियर और वकील शामिल हैं. मुझे भी इस प्रतिष्ठित परिसर का पूर्वछात्र होने का गौरव हासिल है. The Flowery Tree of Almora Memoir

जब हमने बी. एस. सी. में दाखिले के लिए अप्लाई किया हुआ था, हमें मेरिट लिस्ट का इन्तजार करना होता था. यह बात निश्चित होती कि केवल उन्हीं छात्रों को दाखिला मिल सकेगा जिनके 60% से ज्यादा अंक होंगे.   

फोटो: जयमित्र सिंह बिष्ट

हममें से अधिकाँश का नाम पहली लिस्ट में नहीं आया क्योंकि उसमें केवल उन्हीं होशियार छात्रों का नंबर आता था जिनके 80% से ज्यादा मार्क्स आए होते थे.    

अब हमें अपने आप को साबित करना था. उस ख़ास दिन मैं इस शानदार पेड़ के नीचे बैठा हैरत में सोच रहा था कि अगर बारहवीं के बोर्ड में अच्छे नम्बर आए होते तो पहली लिस्ट में नाम आ जाता और दूसरी लिस्ट का इन्तजार न करना होता. अंततः मेरा नंबर भी आ गया और मुझे दाखिला मिल गया. The Flowery Tree of Almora Memoir

यह पेड़ अल्मोड़ा बुक डिपो के नजदीक है जहाँ से सारे बच्चे अपनी किताबें लिया करते थे. और यह अन्नपूर्णा रेस्तरां के भी पास है जो शुद्ध शाकाहारी है लेकिन वह कोई ख़ास बात नहीं है. सारे छात्रों के लिए सबसे ख़ास बात यह थी कि यह सारे शहर में सबसे सस्ता था और यहाँ साफ़-सफाई का बड़ा ध्यान रखा जाता था.  

चुनाव के समय, हम कह सकते हैं, यही पेड़ मीटिंग करने की जगह बनता था. चौघानपाटा के समीप स्थित यह पेड़ अल्मोड़ा का एक लैंडमार्क है. और इससे लगी सीढियां साधारण अल्मोड़ा को भीड़ भरे लाला बाजार से जोड़ती हैं.

इस पेड़ की एक और ख़ास बात यह है कि हम सबने अपने सारे फॉर्म्स इसी पेड़ की छांह में बैठ कर भरे.  चूंकि यह पेड़ अल्मोड़ा के मुख्य डाकघर के नजदीक है और उन दिनों सारे फॉर्म्स पोस्ट ऑफिस से ही लेने होते थे.

वसंत के मौसम में यह सभी विदेशी सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करता है और सभी इसकी फोटो अवश्य खींचते हैं. यह पेड़ पूरी तरह फूलों से ढँक जाता है और लगता है इस पर नकली फूल सजाये गए हैं.

फोटो: जयमित्र सिंह बिष्ट

अल्मोड़ा को स्वप्नदर्शियों का नगर माना जाता है क्योंकि कुमाऊँ भर के सारे मेहनती बच्चे अपने सपनों में पंख लगाने की नीयत से यहीं आते हैं. लगभग हर स्वप्नदर्शी इस पेड़ की छांह का इस्तेमाल करता है. The Flowery Tree of Almora Memoir

अपनी व्यक्तिगत स्मृतियों में इस पेड़ के नीचे आयोजित किये गए तमाम सम्मेलनों और सभाओं की मुझे याद है.

इस पेड़ को कम से कम जिला स्तर पर एक विरासत घोषित कर दिया जाना चाहिए ताकि लम्बे समय तक इसकी देखभाल होती रहे. हालांकि नगरपालिका इसकी देखभाल करती है लेकिन इस काम का जिम्मा नजदीक ही स्थित जी. बी. पन्त इंस्टीट्यूट को दे दिया जाना चाहिए.

इस पेड़ की संगत में बिताये अपने समय की स्मृतियों को हम अपने भीतर संजोये रहेंगे.

प्रकाश सिंह बिष्ट

इस पेड़ के बारे में काफल ट्री में छपा एक खूबसूरत पुराना लेख यहाँ देखिये : अल्मोड़ा के दो पेड़ों का खूबसूरत मोहब्बतनामा

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[लेखक प्रकाश सिंह बिष्ट भारतीय वायुसेना में शिक्षा अधिकारी हैं और उत्तराखंड के समृद्ध सांस्कृतिक तानेबाने के बारे में लिखना पसंद करते हैं.]

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