Uttarakhand folk culture

बैगा हुड़किया द्वारा कही गयी काला भंडारी की कहानीबैगा हुड़किया द्वारा कही गयी काला भंडारी की कहानी

बैगा हुड़किया द्वारा कही गयी काला भंडारी की कहानी

पहाड़ की कहानियां जो पिछली सदी में बैगा हुड़किया ने सुनाई थी पादरी ई एस ओकले और तारा दत्त गैरोला…

6 years ago
कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रणकुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण

कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण

लोकगीतों से हमारा तात्पर्य लोक साहित्य के उन रूपों से है, जो प्रायः अलिखित रहकर जन-साधारण द्वारा निर्मित होते हुए…

6 years ago
बुरा मान गए हमारे पितरबुरा मान गए हमारे पितर

बुरा मान गए हमारे पितर

चौमास बीता. श्राद्ध भी बीत गए. आस पास के बृत्ति ब्राह्मणों के साथ घर के बड़े बूढ़े, कच्चे बच्चे सब…

7 years ago
धौली और नन्दा की कथाधौली और नन्दा की कथा

धौली और नन्दा की कथा

कार्तिग के महीने गांव के ऊपर नीचे की सारियां फसल काटने के बाद खाली हो जाती. आसमान बरसात के बाद…

7 years ago
रामी बलोद्याण की कथारामी बलोद्याण की कथा

रामी बलोद्याण की कथा

बरसाती झड़ी की एक सुबह से मैंने दादी से रट लगाई दूध का हलवा बना. वो बोली आज पिस्युं नी…

7 years ago
सोने के बालों वाली सूना और उसके बीरा की कथासोने के बालों वाली सूना और उसके बीरा की कथा

सोने के बालों वाली सूना और उसके बीरा की कथा

बर्फ पड़ने के बाद की सुरसुराहट अब कम होने लगी थी. डाँडी-काँठी में जमा ह्यूं सर्दीले घाम के मद्धिम ताप…

7 years ago
मेहनती बहू और रात के अएड़ी की कथामेहनती बहू और रात के अएड़ी की कथा

मेहनती बहू और रात के अएड़ी की कथा

भरपूर चढ़क रूढ़ (गर्मी) पड़ रही थी. माटु, ढुंगी, पेड़, पत्ती, अल्मोड़ी, घिलमोड़ी, पौन-पंछी, कीट-पतंगारे, सांप-बाघ सब रूढ़ से बेहाल.…

7 years ago