बात ‘गलता लोहा’ से शुरू करते हैं, जो शेखर जोशी जी की अपेक्षाकृत कम चर्चित कहानी है. पहाड़ के एक…
शोभाराम शर्मा जी का नाम मैंने प्रयाग जोशी जी से सुना था. प्रयाग जी ने 1972-73 में पिथौरागढ़ जिले के…
‘प्रधानी का चुनाव लड़ा जाए?’ एक सुबह बिल्कुल अचानक पुष्कर ने पूछा. ‘बहुत अच्छा रहेगा,’ कविता खुश हुई. ‘सही में?’…
बब्बन कार्बोनेट: द हो, अशोक पाण्डे की क्वीड़ पथाई के क्या कहते हो! पहाड़ की मौखिक कथा परम्परा में ‘क्वीड़’…
किसी भी नगर की सबसे पहली पहचान उसकी नागरिक सुविधाओं से बनती है. लखनऊ अब एक बड़ा महानगर है. सन…
परदेस को चिठ्ठी लिखने का भी कोई कायदा होता होगा. बाबू ने ही तो कहा था - "दुःख में जो-जो…
सल्लाम वाले कुमत्यारा वे गौड़ गाजिना, सल्लाम वाले कुमम्यारा मियां रतना गाज़ी, सल्लाम वाले कुमतेरी वो बीवी फातिमा, सल्लाम वाले…
कोई 30-31 वर्ष तक आकाशवाणी के शॉर्ट वेव 61.48 यानी 4480 किलोहर्ट्ज पर रोज शाम सुदूर पर्वतीय अंचल (उत्तराखण्ड) के…
'उत्तराखण्ड होली के लोक रंग' शेखर तिवारी द्वारा संपादित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है. चंद्रशेखर तिवारी काफल ट्री के नियमित सहयोगकर्ता…
सन 1977 में जब मैंने ‘स्वतंत्र भारत’ से पत्रकारिता की शुरुआत की तो साहित्यिक-सांस्कृतिक रुचियों के कारण साहित्य, रंगमंच और…