सुभाष तराण

इंद्रू : जिसे प्रकृति ने लोहे और पत्थरों की सख्ती से निपटने के लिए ही पैदा कियाइंद्रू : जिसे प्रकृति ने लोहे और पत्थरों की सख्ती से निपटने के लिए ही पैदा किया

इंद्रू : जिसे प्रकृति ने लोहे और पत्थरों की सख्ती से निपटने के लिए ही पैदा किया

जहाँ हमारे गाँव की हद खत्म होती है वहीं पर एक जमाने में इंद्रू सुनार की लोहे गलाने की भट्टी…

5 years ago
चुनाव हार जाने और सत्ता छिनने के बाद गैरसैण प्रेम जाग जाता है हमारे नेताओं काचुनाव हार जाने और सत्ता छिनने के बाद गैरसैण प्रेम जाग जाता है हमारे नेताओं का

चुनाव हार जाने और सत्ता छिनने के बाद गैरसैण प्रेम जाग जाता है हमारे नेताओं का

मेरा गाँव वैसे तो तीन दशकों से पीने के पानी जैसी बुनियादी जरूरत की किल्लत झेल रहा है लेकिन पिछले…

5 years ago
महाराष्ट्र की डेमोक्रेसी और अमरू मडवाण के बैलमहाराष्ट्र की डेमोक्रेसी और अमरू मडवाण के बैल

महाराष्ट्र की डेमोक्रेसी और अमरू मडवाण के बैल

महाराष्ट्र में सत्ता प्रकरण से संबधित तेजी से बदल रहे घटनाक्रम से मजा ले रहे सोशल मीडिया के सुधी जनों…

5 years ago
बाघ, बारिश और रोटी – पहाड़ियों के संघर्ष की एक कहानी ऐसी भीबाघ, बारिश और रोटी – पहाड़ियों के संघर्ष की एक कहानी ऐसी भी

बाघ, बारिश और रोटी – पहाड़ियों के संघर्ष की एक कहानी ऐसी भी

भले ही देश आर्थिक उदारीकरण के लिए सरदार मनमोहन सिहं और नब्बे के दशक को याद रखता हो लेकिन मेरे…

5 years ago
पिंडारी से पार पहुँचता महानगरों का उत्सर्जन : एक जोखिम भरी यात्रा का लंबा रोमांचक वृत्तान्तपिंडारी से पार पहुँचता महानगरों का उत्सर्जन : एक जोखिम भरी यात्रा का लंबा रोमांचक वृत्तान्त

पिंडारी से पार पहुँचता महानगरों का उत्सर्जन : एक जोखिम भरी यात्रा का लंबा रोमांचक वृत्तान्त

विगत 9 सितंबर को भारतीय पर्वतारोहण से मिस्टर पाणिग्रही का फोन आया, बताने लगे कि आगामी 14 सितंबर से 5…

5 years ago
जौनसार बावर में स्त्रीजौनसार बावर में स्त्री

जौनसार बावर में स्त्री

दिल्ली में रहते हुए सुदूर पहाड़ के गाँव के रिश्तेदारों को निभाना एक दुरुह काम है. सगे संबंधी हमेशा इस…

6 years ago
जौनसार बावर के लोक गायक और उनके गीतों की सांस्कृतिक प्रतिबद्धताजौनसार बावर के लोक गायक और उनके गीतों की सांस्कृतिक प्रतिबद्धता

जौनसार बावर के लोक गायक और उनके गीतों की सांस्कृतिक प्रतिबद्धता

इंटरनेट और सोशल मीडिया के अस्तित्व में आने के बाद से जौनसार बावर में गीत गाने वालों की बाढ़ सी…

6 years ago
अंधविश्वास के पहाड़अंधविश्वास के पहाड़

अंधविश्वास के पहाड़

मैं उस रोज नैनीताल के रामगढ़ स्थित महादेवी सृजन पीठ के बाहर साथियों के साथ गप्पें लड़ाने में मशगूल था…

6 years ago
बदलते परिवेश का पहाड़ – दूसरी क़िस्तबदलते परिवेश का पहाड़ – दूसरी क़िस्त

बदलते परिवेश का पहाड़ – दूसरी क़िस्त

कथियान कुछ एक दुकानों, ढाबों, चाय के खोमचों और कुछ एक बेमकसद टहलते युवाओं का ठौर है. इन सबों के…

6 years ago
बदलते परिवेश का पहाड़ – पहली क़िस्तबदलते परिवेश का पहाड़ – पहली क़िस्त

बदलते परिवेश का पहाड़ – पहली क़िस्त

मुझे और मेरे सहपाठी रतन सिंह को जिस दिन चकराता से त्यूनी जाना था उसके एक रात पहले चकराता और…

6 years ago