नीलम पाण्डेय नील

आ कौआ आ, घुघुती कौ बड़ खै जा

आ कौआ आ, घुघुती कौ बड़ खै जा,मैकेणी म्येर इजैकी की खबर दी जा.आ कौआ आ, घुघुती कौ बड़ ली…

1 year ago

क्या पिछौड़ा, ऐपण, अल्पना आदि का ‘फैशन ट्रेंड’ सांस्कृतिक विरासत को प्रभावित करता है?

विरासतों का सृजनात्मक उपयोग और मौलिकता उत्तराखंड में महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला परिधान पिछौड़ा, परम्परागत रूप से कुमाऊं मूल …

3 years ago

मां आज भी सभी सिक्कों को डॉलर ही कहती है

ब्रह्म ने पृथ्वी के कान में एक बीज मंत्र दे दिया हैउसी क्रिया की प्रतिक्रिया मेंजब बादल बरसते हैं,तो स्नेह…

3 years ago

दुर्गा भवन स्मृतियों से

जब हम किसी से दूर हों रहे होते हैं, तब हम उसकी कीमत समझने लगते हैं. कुछ ऐसा ही हो…

3 years ago

शिव स्वरूप हिमाच्छादित हिमालय साक्षी है हर परिवर्तन का

काफी समय बाद बस से यात्रा की. यात्रा देहरादून से रानीखेत की थी. मैदान से पहाड़ों की बसों में बजाए…

3 years ago

कुमाऊनी झोई का स्वाद लाजवाब है

झोई अथवा झोली यानि कि कढ़ी हमारे कुमाऊं के भोजन में विभिन्न प्रकार से बनती है. कम से कम एक…

4 years ago

आमा के जीवन की यादें मेरे लिए कहानी बन जाती थी

वे घुमंतु नहीं थे और न ही बंजारे ही थे. वे तो निरपट पहाड़ी थे. मोटर तो तब उधर आती-जाती…

5 years ago

गर्वनर और डिप्टी को हम पहाड़ी लोग यूँ ही उँगलियों पर नचा लेते हैं

जो तेरा गवर्नर, वो मेरा डिप्टी होता है यादों में लगभग 30 - 32 साल पीछे लौट जाऐं तो बहुत…

5 years ago