प्रो. मृगेश पाण्डे

झुरमुरि, लगड़, लेसु रोटी और न जाने क्या-क्या बनता है पहाड़ों में आटे से

रोटी में पधान रहा गेहूं और मडुए को गरीब का पेट भर सकने की हैसियत मिली. रोज मड़ुआ खा बिछेंन…

4 years ago

गंगोलीहाट का लाल चमयाड़ हो या अल्मोड़े का थापचिनी खूब स्वाद होता है पहाड़ी चावल

पहाड़ में खरीफ की मुख्य फसल होती धान जो उपरांउ व तलाऊँ यानि सेरे में बोई जाती. खूब मेहनत मांगती.…

4 years ago

उत्तराखंड में अनाज की माप के पारंपरिक बर्तन

ताँबे के बर्तन में रखा पानी शुद्धता और स्वाद के लिहाज से सबसे अच्छा माना जाता. वहीं लोहे की कढ़ाई साग…

4 years ago

पहाड़ में पेड़-पौधों के रेशों से बनने वाले उत्पाद

पहाड़ में अनेक पेड़-पौंधों से रेशा निकला जाता जिनमें रामबांस, भाँग, बबिला, मालू, मूँज, मोथा, अल, उदाल, धान का पुवाल,…

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तिजोरी से कम राज नहीं हैं आमा के भकार में

पहाड़ों में ज्यादा मात्रा में अनाज को भकार में रखा जाता. तुन, चीड़ और देवदार के तख्तों या पटलों से…

4 years ago

ईजा कैंजा की थपकियों के साथ उभरते पहाड़ में लोकगीत

हर ऋतु में अपने गीत हैं. खट्ट से आस पास से कई अलंकार समेट फूट पड़ते हैं. मेले ठेले में, पर्व में,…

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पहाड़ में हर बीमारी में झाड़फूंक का रिवाज चला आया है

पहाड़ों में किसी भी बीमारी में झाड़फूंक का रिवाज चला आया है. पीलिया होने, दाँत में घुनता लगने या कीड़ा…

4 years ago

उत्तराखण्ड का पारंपरिक पहनावा और जेवर

पहाड़ में नंगा सर रहना बुरा समझा जाता था. सर में टोपी डालने का चलन था. कम हैसियत वाले धोती…

4 years ago

गोबर की खाद डालना हो या गाज्यो काटना, पहाड़ों में सब काम मिल बांटकर होते हैं

पहाड़ों में पर्यावरण चक्र के हिसाब से खेती के तरीके विकसित हुए हैं. छः ऋतुओं और बारह महीनों में कोई…

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पहाड़ में काम करने न करने पर लोक विश्वास

पहाड़ में कुछ काम करने न करने पर कुछ लोक विश्वास भी बने रहे जैसे यात्रा करने में वारदोख का…

4 years ago