कुमाऊं का समाज एक कृषि प्रधान समाज रहा है. एक समय कृषि ही कुमाऊं के लोगों का प्रमुख व्यवसाय था. कुमाऊं की परम्पराओं से भी यह स्पष्ट होता है कि यहां का समाज मूलरूप कृषि पर पूरी तरह निर्भर रहता होगा. कुमाऊं का ऐसा ही एक लोकपर्व है सातों-आठों.
(Saton-Athon Festival 2022)
कुमाऊं में आज से लोकपर्व सातों-आठों की आगाज़ है. भाद्रपद महीने की पंचमी से शुरु होने वाले इस लोकपर्व को समूचे कुमाऊं में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है. सातों-आठों कुमाऊं के सबसे महत्त्वपूर्ण लोकपर्व में एक है. आज इस पर्व की शुरुआत बिरुड़े भिगो कर की जाती है.
बिरुड़े का अर्थ है पांच या सात तरह का भीगा हुआया अंकुरित अनाज. भाद्रपद महीने की पंचमी को एक साफ तांबे के बर्तन में पांच या सात तरह के अनाज को भिगोकर रखा जाता है. मक्का, गेहूं, गहत , ग्रूस(गुरुस), चना, मटर और कलों को तांबे के बर्तन में डाला जाता है.
बर्तन में अनाज डालने के बाद इसे धारे या नौले के साफ और शुद्ध पानी से धोया जाता हैं और अनाज के दाने भीगोने के लिये रख दिये जाते हैं. बर्तन के चारों ओर ग्यारह या नौ छोटी-छोटी आकृतियाँ बनाई जाती हैं. गोबर से बनाई गयी इन आकृतियों में दूब डोबी जाती है और तांबे का यह बर्तन अपने घर के मंदिर के पास रखा जाता है.
(Saton-Athon Festival 2022)
मंदिर में इसे रखने से पहले पूरे मंदिर की साफ-सफाई की जाती है. पहले के समय में घर मिट्टी के होते थे इसलिए मंदिर में जिस स्थान पर तांबे का बर्तन रखा जाता है उस स्थान को लाल मिट्टी से लिपा भी जाता था. परम्परागत रूप से इस पर्व मनाने वाले आज भी मंदिर के फर्स को लाल मिट्टी से पोतकर वहां तांबे के बर्तन को रखते हैं.
कुमाऊं के कुछ स्थानों में एक पोटली में भी पांच या सात अनाज को फल के साथ बाँध दिया जाता है. इस पोटली को भी तांबे के बर्तन के भीतर भिगोकर रखा जाता है. बिरुड़े से सातों के दिन गौरा की और आठों के दिन बिरुड़ों से महेश की पूजा की जाती है. पूजा में प्रयोग किये गये इन बिरुड़ों को आशीष के रूप में सभी को बांटा जाता है. बचे हुए बिरुड़ों को पकाकर प्रसाद के रूप में खाया जाता है.
(Saton-Athon Festival 2022)
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