कला साहित्य

बंजारा मासाब की शादी का किस्सा

प्रसिद्ध चित्रकार, मूर्तिकार व लेखक नवीन वर्मा ‘बंजारा’ का अचानक चले जाना सभी के लिए एक बहुत गहरा आघात है. उनकी कला में सामाजिक संरचनाओं की अभिव्यक्ति आभास कराती थी कि वह कितनी बारीकी से समाज के परिदृश्य को उकेरते थे जिसमें विश्व  धरोहरों से लेकर अल्मोड़ा शहर के जीवन शैली को दर्शाते हुए 52 सीढ़ी पर बैठी हुई आमा का हुक्का गुड़गुड़ाते हुए चित्रण, कठिन परिश्रम करते हुए ग्रामीण जनजीवन और लोक कला का चित्रण उनकी कलाओं में विशेषकर देखने को मिलता है. Remembering Navin Verma Banjara Massab

बंजारा मास्साब की एक पेंटिंग

प्रकृति से भी उनका लगाव बहुत गहरा रहा. अक्सर वे पिट्ठू पकड़कर एकांतवास की ओर निकल जाया करते थे. उनका अपार प्रकृति प्रेम इन कलाओं में दिखता है जिसमें तालाबों से लेकर बुग्याल, वनों से आच्छादित पहाड़ियों से लेकर हिमालय की विभिन्न श्रेणियों दृष्टिगोचर होती हैं. Remembering Navin Verma Banjara Massab

चंपावत जिले के बिंदा (डाड़) गांव के मूल निवासी नवीन वर्मा बंजारा 2 अगस्त 1945 को माता रेवती वर्मा और पिता दुर्गा लाल वर्मा के घर में जन्मे नवीन वर्मा परिवार में चार भाई-बहनों में सबसे बड़े थे जिसमें दो बहनें और एक भाई उनसे छोटे हैं. Remembering Navin Verma Banjara Massab

बंजारा मास्साब

अल्मोड़ा से शिक्षा लेने के बाद उन्होंने लखनऊ आर्ट्स कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की. बचपन से ही उनका परिवेश कला का ही रहा. एक साक्षात्कार में बताते हैं कि उनके मामा चित्रकार एम. एल.वर्मा चित्रकार आर.एस. बिष्ट के समकालीन रहे. चित्रकार रामलाल वर्मा भी उनके पारिवारिक संबंधी रहे. इन सभी लोगों का प्रभाव उनकी कला पर पड़ा. बद्री आर्य, शिरखंडी, व आर. एस. बिष्ट उनके गुरु रहे.

उन्हें प्रत्येक विद्यार्थी से लेकर आम आदमी तक बंजारा मासाब  के नाम से जानता था. यह नाम उन्हें उनके साहस व  यायावरी के चलते मिला. अपने जीवन काल में वे अल्मोड़ा इंटर कालेज में कला के प्राध्यापक रहे. इस विद्यालय प्रांगण उनके द्वारा बनाई गयी स्वामी विवेकानंद की  आदमकद मूर्ति का निर्माण किसी अजूबे से कम नहीं था. उनकी धर्मपत्नी इंद्रा वर्मा बताती हैं कि मूर्ति निर्माण के  दौरान बंजारा मासाब  विद्यालय भवन के एक जर्जर कमरे में  रहे और भोजन भी अक्सर घर से ही पहुंचाया जाता था. Remembering Navin Verma Banjara Massab

बंजारा मास्साब की बनाई विवेकानंद प्रतिमा

कला के प्रति उनकी जीवटता ही थी कि वह भूख-प्यास भी भूल जाया करते थे. उनके वैवाहिक जीवन की भी साहसिक शुरुआत रही जिसमें उनका विवाह होना भी कम रोचक नहीं है. उनकी धर्मपत्नी के  अनुसार मासाब उन्हें देखने गांव आए जो गनाई (पिथौरागढ़) के सीमांत अति दुर्गम स्थल पर है. तब पैदल ही पहुंचना पड़ता था. किसी वस्तु को खरीदने भी कई मील दूर जाना पड़ता था. ऐसी कठिन सुदूरवर्ती जगह पर हर एक का पहुंचना बड़ा मुश्किल था. तब मासाब ने तय किया कि  शादी करके वापस जाएं. एक अंगूठी व एक साड़ी में विवाह हुआ. जब वह साड़ी खरीदने अपना पिट्ठू लेकर जा रहे थे तो उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि कोई उनका पिट्ठू खीच रहा है पर वह निडर होकर बढ़ते रहे.

ऐसी कई किवदंतियां बंजारा मासाब  के साथ जुड़ी रही जिसमें विवेकानंद का गेरुए वस्त्र में उन्हें दिखना भी शामिल है. एक  दिन पूर्व  उनकी धर्मपत्नी की सहपाठी की हुई  शादी की बची हुई सामग्री का खासा महत्व रहा और मस्साब की शादी बिना किसी बाधा के संपन्न हो सकी.

शादी करके बेरीनाग होते हुए जब बागेश्वर पहुंचे तो किसी मित्र  के सहयोग से दूरभाष पर घर सूचना दी गई कि आप शादी करके आ रहे हैं जो कि उनके अल्मोड़ा  घर पहुंचने तक कौतूहल का विषय बना रहा. उनका वैवाहिक जीवन सादगीपूर्ण रहा. उनकी धर्म पत्नी का भी सहयोग मिलता रहा. उनकी चार पुत्रियां पैदा हुई जो सभी विवाहित हैं. बंजारा मासाब के  लेखन व कविताओं से भी अंतरंग संबंध रहे. काका हाथरसी से भी उनका गहरा लगाव रहा. अल्मोड़ा से प्रकाशित हिलांश अखबार में भी ‘दरबारे आम’ नामक एक नियमित स्तंभ लेखन कार्य भी किया. वह चित्रकारी के अलावा भित्ति चित्र व हस्तरेखा शास्त्र के भी अध्येता रहे. सामाजिक जीवन से भी उनका सरोकार रहा. अल्मोड़ा नगरपालिका अध्यक्ष पद पर कार्यरत भी रहे. Remembering Navin Verma Banjara Massab

बंजारा मास्साब की एक और पेंटिंग

विभिन्न क्षेत्रों में सिद्धहस्त निपुणता होने पर भी उनका जीवन हमेशा सादगी पूर्ण ही रहा और वे सबके प्रिय नवीन वर्मा बंजारा मासाब बने रहे. उनके द्वारा उनके निवास स्थान पर निर्मित कला केंद्र का उद्देश्य नवयुवकों को कला की बारीकियां सिखाना व  समाज को कलाकृतियों द्वारा सहेजना रहा. आज निश्चित ही हमने एक विनम्र विश्वसनीय संरक्षक खो दिया है. वे सभी के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे और अपनी कलाकृतियों में अमर रहेंगे! Remembering Navin Verma Banjara Massab

– अजेयमित्र सिंह बिष्ट

यह भी देखें: अल्मोड़ा के विख्यात चित्रकार नवीन वर्मा ‘बंजारा’ का निधन

लेखक: अजेयमित्र सिंह बिष्ट

साहसिक पर्यटन व फोटोग्राफी में रूचि रखने वाले अजेयमित्र सिंह बिष्ट अल्मोड़ा में रहते हैं. युवा अजेयमित्र का काफल ट्री में स्वागत है. उनसे मित्र भवन, मॉल रोड, अल्मोड़ा या टेलीफोन नं. 9456596767 पर संपर्क हो सकता है.

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