महान हिमालय का छोटा लेकिन खतरनाक शिकारी चुथरौल : सुरेन्द्र पवार का फोटो निबंध

यलो थ्रोटेड मार्टिन प्रतिदिन शिकार करने वाले जीवों में से एक है जिसे स्थानीय भाषा में चुथरौल भी कहा जाता है. यह जीव 16 साल तक जिन्दा रहता है. पीले और भूरे रंग के इस जीव का भार 1.6 से 5.7 किलो तक रहता है और लम्बाई 500 से 700 मीमी तक होती है.
(Yellow Throated Marten in India)

मार्टिन हिमालयी क्षेत्रों में सामान्यतः देखने को मिल जाते हैं. मुनस्यारी के खालिया टॉप में भी उनको काफी अच्छी मात्रा में देखा जा सकता है.

मार्टिन हर दिन शिकार करते हैं और जोड़ों में ही शिकार करते हैं. कभी कभी इन्हें तीन यार चार जोड़ों में भी शिकार करते हुये देखा जा सकता है. हर मार्टिन जोड़े का अपना एक इलाका होता है जहां वो हार दिन पैट्रोलिंग करते नज़र आ जाते हैं. मार्टिन एक दिन में लगभग 10 से 20 किमी तक का इलाका कवर करते हैं.

मार्टिन जमीन पर ही शिकार करते हैं लेकिन पेड़ों पर भी ये बड़ी आसानी से चढ़ जाते हैं. बुरांस के पेड़ और इनके फूल इन्हें काफी पसंद हैं. इन्हें कई बार बुरांस के फूल खाते हुये भी देखा गया है. मार्टिन 8-9 मीटर तक छलांग भी लगा सकते हैं.
(Yellow Throated Marten in India)

मार्टिन के खाने के रेंज काफ़ी बड़ी होती है. फूल और फूलों के रस के अलावा छोटे हिरन को भी ये मार लेते हैं. इनके खाने में मुख्यतः चूहे, छिपकली, अंडे, जमीन में घोंसले बनाने वाली चिड़िया जैसे सारे फिजैन्ट और फ्रेंकोलिन आते हैं. यह काफी ख़तरनाक शिकारी होते हैं जो कस्तूरी हिरन के बच्चों का शिकार भी कर सकते हैं.

यलो थ्रोटेड मार्टिन फ़रवरी से लेकर मार्च और जून से अगस्त तक प्रजनन करते हैं. प्रजनन के समय पर मादा मार्टिन को लुभाने के लिये सारे नर मार्टिन में लड़ाईयां शुरू हो जाती हैं. मादा सामान्यतः दो या तीन बच्चों को जन्म देती है कभी कभी चार से पांच बच्चे भी देखे गये हैं. गर्भावधि काल सामान्यतया 220 दिन से 290 दिन तक रहता है.

खलिया टॉप में इनकी अच्छी खासी संख्या देखी गयी है हालांकि यहां सेटर ट्रेगोपन जैसे पक्षी और कस्तूरी मृग भी देखे गये हैं जिनके लिये मार्टिन किसी बड़े खतरे से कम नहीं. इनका रहना किसी भी जंगल की जैव विविधता दिखाता है जो कि एक सुखद बात है.
(Yellow Throated Marten in India)

देखिये इस दुर्लभ शिकारी की कुछ शानदार फोटो सुरेन्द्र पवार के कैमरे से :

सुरेन्द्र पवार

बर्डवॉचिंग, फोटोग्राफी और ट्रेकिंग में गहरी दिलचस्पी रखने वाले सुरेन्द्र पवार मुनस्यारी में रहते हैं.

हिमालय की सुन्दरतम चिड़ियों में एक है सेटर ट्रेगोपन : सुरेन्द्र पवार का फोटो निबंध

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago