अशोक पाण्डे

यशपाल शर्मा को श्रद्धांजलि

9 जून 1983 को भारत ने वर्ल्ड कप क्रिकेट का पहला मैच वेस्ट इंडीज के साथ खेला. इसके ठीक पहले हमारी टीम वेस्ट इंडीज में पांच टेस्टों की सीरीज में 0-2 से पिट कर आई थी. तीन वन डे भी खेले गए जिनमें भारत 1-2 से हारा.
(Obituary for Yashpal Sharma)

क्लाइव लॉयड की कप्तानी में वेस्ट इंडीज उस समय दुनिया की सबसे मजबूत टीम के रूप में अपराजेय हुआ करती थी. जब उसकी तरफ से ग्यारह चैम्पियन खिलाड़ी पिच पर उतरते थे, ज्यादातर टीमें मैच शुरू होने से पहले ही मनोवैज्ञानिक रूप से हार जाया करती थीं. विव रिचर्ड्स, गोर्डन ग्रीनिज, डेसमंड हेंस, लैरी गोम्स और लॉयड जैसे बल्लेबाज और मार्शल-गार्नर-होल्डिंग-रॉबर्ट्स जैसी खतरनाक पेस चौकड़ी के सामने भारत का हारना तय था.

भारत की तरफ से रेडियो कमेंट्री करने अयाज मेनन भेजे गए थे. उम्मीद के मुताबिक़ जब भारत की आधी टीम 114 पर घुस गयी, अयाज मेनन ने हाल ही में रिलीज हुई एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ की बातें करना शुरू कर दिया. ठीक जिस वक्त कमेंट्री बॉक्स में अहिंसा और गांधीवाद पर बहस चल रही थी, मैदान पर यशपाल शर्मा ने बल्लेबाजी की भारतीय गांधीवादी शैली त्याग कर बॉल को उड़ाना शुरू किया. हाल ही में तीन महीने लगातार वेस्ट इंडीज में बिताने के बाद उन्हें एक-एक वेस्ट इन्डियन गेंदबाज की पहचान हो चुकी थी.
(Obituary for Yashpal Sharma)

उस दिन गेंद बल्ले पर आ रही थी और उन्होंने बेख़ौफ़ होकर कट, पुल और हुक जैसे शॉट खेलना शुरू कर दिया. बादाम खाने के शौक़ीन यशपाल के इन स्पेशल शॉट्स को ड्रेसिंग रूम में बादाम शॉट कहा जाता था. उस दिन ड्रेसिंग रूम को बहुत सारे बादाम शॉट्स पर चीयर करने का मौक़ा मिला. दूसरे एंड पर रोजर बिन्नी ने टुकटुक करते हुए विकेट सम्हाल रखा था. दोनों ने 73 रनों की पार्टनरशिप की. आखिरकार यशपाल शर्मा को माइकेल होल्डिंग ने क्लीन बोल्ड किया. उन्होंने 89 का स्कोर बनाया. टीम ने 60 ओवरों में 262-6 का स्कोर किया. वेस्ट इंडीज ने खेलना शुरू किया. उनका स्कोर 67-2 हुआ तो बारिश आ गयी. किंग रिचर्ड्स 12 नॉट आउट थे. मैच अगले दिन जारी रहा और भारत ने 34 रन से अप्रत्याशित जीत दर्ज की. कोई नहीं जानता था वह भारत के विश्वविजय अभियान की शुरुआत थी. मैन ऑफ़ द मैच –  यशपाल शर्मा.

तेरह दिन बाद, तमाम क्रिकेट विशेषज्ञों के अनुमानों को नींव से उखाड़ कर भारत इंग्लैण्ड के खिलाफ सेमीफाइनल खेल रहा था. इंग्लैण्ड ने 60 ओवर्स में 213 का स्कोर किया. ओपनर्स गावस्कर और श्रीकांत के जल्दी आउट हो जाने के बाद महान जिमी अमरनाथ का साथ देने यशपाल आये. जब वे 61 रन बनाकर लौटे भारत को जीत के लिए महज नौ रन चाहिए थे. इस पारी में उन्होंने विव रिचर्ड्स की शैली में बॉब विलिस को लॉन्ग लेग पर एक यादगार छक्का मारा. उसके बाद का इतिहास हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी को रटा हुआ है.

यशपाल शर्मा के पास टेस्ट क्रिकेट की भी शानदार उपलब्धियां हैं. मिसाल के तौर पर 1982 में उन्होंने मद्रास में इंग्लैण्ड के खिलाफ खेलते हुए गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ पूरे दिन बिना आउट हुए रेकॉर्ड 316 रनों की पार्टनरशिप की थी. 1979 में दिल्ली में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को एक तकरीबन असंभव जीत की कगार तक ले गए थे – इमरान खान और अब्दुल कादिर जैसे दिग्गज गेंदबाजों को चौथी पारी में खेलते हुए.

यशपाल शर्मा पूरी तरह शाकाहारी और शराब-नशे से दूर रहने वाले खिलाड़ी थे. ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैण्ड जैसी जगहों पर, जहाँ शाकाहारी भोजन खोजना मुश्किल होता था, यशपाल के दोस्त हर जगह थे और उनके लिए दाल-सब्जी-रोटी से भरा टिफिन-बॉक्स लेकर हाजिर हो जाते थे.
(Obituary for Yashpal Sharma)

यशपाल शर्मा का विकेट किसी भी बोलर को आसानी से कभी नहीं मिला. उनके पास गावस्कर, पाटिल या विश्वनाथ जैसी कलात्मकता नहीं थी अलबत्ता वे शिवनारायण चन्द्रपॉल की तरह अपने विकेट की एक कीमत तय रखते थे और किसी भी हाल में उसकी रक्षा करने को डटे रहते. एक फाइटर की तरह.

क्रिकेट की तमाम किताबों में 1983 के वर्ल्स कप को कपिल देव और जिमी अमरनाथ का विश्व कप बताया गया. फाइनल में रिचर्ड्स का कपिल देव द्वारा लिया गया असंभव कैच, जिम्बाब्वे के खिलाफ कपिल की ही 175 नॉट आउट पारी, फाइनल में बलविंदर संधू की अकल्पनीय बनाना इनस्विंगर पर ग्रीनिज का क्लीन बोल्ड होना, मोहिंदर अमरनाथ की लगातार शानदार बल्लेबाजी और गेंदबाजी, संदीप पाटिल और श्रीकांत की आतिश के अलावा मदनलाल-बिन्नी-संधू की गेंदबाजी – इन सब पर खूब लिखा गया. यशपाल शर्मा कभी भी हमारी वर्ल्ड कप स्टार लिस्ट में जगह नहीं बना सके लेकिन उन्हें जब भी देश की जर्सी पहनने का मौक़ा मिला उन्होंने उसकी इज्जत की. बिना किसी तरह की पब्लिसिटी के. खामोश रह कर.

चौदह खिलाड़ियों की वह चैपियन टीम आज अधूरी हो गयी. यशपाल शर्मा उसी खामोशी से चले गए जो उनकी कर्मठता का सिग्नेचर थी. सोशल मीडिया में भी इस खबर को वह जगह नहीं मिली जिसके वे हकदार थे. अफ़सोस!
(Obituary for Yashpal Sharma)

अशोक पाण्डे

इसे भी पढ़ें: अल्मोड़ा के ‘फूलों वाले पेड़’ की याद में

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

11 hours ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

3 days ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

3 days ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

6 days ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

1 week ago

उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने

-हरीश जोशी (नई लोक सभा गठन हेतु गतिमान देशव्यापी सामान्य निर्वाचन के प्रथम चरण में…

1 week ago