सबकी दिली-ख़्वाहिश होती है कि उसके बच्चे अच्छा पढ़–लिखकर एक बेहतर मुक़ाम हासिल करें. अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिये आदमी कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता है. आदमी जीतोड़ मेहनत कर अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाना चाहता है. पर यह बदकिस्मती है कि आज शिक्षा पूरी तरह से व्यापार बन चुका है. बच्चों के लिये अच्छी शिक्षा पूरे देश में दिन पर दिन महंगी होती जा रही है. महंगी शिक्षा पहाड़ में भी पूरी तरह पैर पसार चुकी है.
(Nanhe Kalam Program Almora)
पहाड़ों में गरीबों के लिये शिक्षा का एकमात्र विकल्प सरकारी स्कूल हैं. इन स्कूलों में अपने बच्चे पढ़ाने वाले भी चाहते हैं कि उनको खूब अच्छी शिक्षा मिले. जवाहर नवोदय जैसे स्कूल गरीबों के लिये अच्छी शिक्षा की एक सीढ़ी होते हैं पर इनमें दाखिल होने के लिए एक प्रवेश परीक्षा पास करनी होती है.
अल्मोड़ा जिले में कुछ युवाओं ने अपने साथियों के साथ मिलकर चाहा की बच्चों कि कुछ मदद कर सकें. पवन जोशी, वीरेंद्र बिष्ट, नीलम जोशी, पूजा गुरूरानी, गीता तिवारी और पूनम ने अपने शहर में यह जिम्मा उठाया. इन युवाओं ने विंकुलर टेस्टिंग लैब प्राइवेट लिमिटेड और सेल्फ रिलाइंट इण्डिया की मदद से अल्मोड़ा जिले में ‘नन्हे कलाम’ नाम से एक मुहिम चलाई.
(Nanhe Kalam Program Almora)
यह इन युवाओं के जज्बे का कमाल है कि इस वर्ष कक्षा छः में ‘नन्हे कलाम’ से जुड़े चार बच्चों का चयन जवाहर नवोदय विद्यालय में हुआ. थाना बाज़ार की आलिया अंशारी, कसार देवी के अमन आर्य, अल्मोड़ा बाज़ार के मोहम्मद जुनैद और धारानौला की सिमरन की मेहनत रंग लाई. जवाहर नवोदय विद्यालय छठी कक्षा में चयनित इन बच्चों के सपनों में रंग भरने में विंकुलर और एसआरआई के युवा साथियों की बड़ी भागीदारी रही है.
‘नन्हे कलाम’ कार्यक्रम का ही तो कमाल है जो अल्मोड़े की आलिया अंशारी भारतीय सेना में जाने का सपना बन रही है. यह नन्हे कलाम से जुड़े युवा की मेहनत का ही तो नतीजा है कि अमन आर्या एक दिन जिलाधिकारी बनने का सपना जी रहा है. बच्चों के सपनों में रंग भरने वाले इस कार्यक्रम पर विंकुलर के संस्थापक बलबीर बोरा ने ख़ुशी जाहिर करते हुये कहा- यह अच्छा है कि मैं अपने अल्मोड़ा के किसी काम आ रहा हूँ.
(Nanhe Kalam Program Almora)
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