Categories: Featuredकॉलम

सूरज की मिस्ड काल भाग- 1

आज सुबह जगे तो देखा कि सूरज की चार ठो मिस्ड काल पड़ी थीं.

उठकर बाहर आये. सोचा फ़ोन मिलाकर बात कर लें. लेकिन फ़िर नहीं मिलाये. सोचा -काम में बिजी होगा. ड्य़ूटी में दखल देना ठीक नहीं.

देखा कि पानी हल्का-हल्का बरस रहा है. मन किया कि हल्के-हल्के को थोड़ा गोलिया के हौले-हौले कर दें. लेकिन फ़िर कहीं से आवाज आई- नहीं यार! रफ़्ता-रफ़्ता करो! बहुत दिन से रफ़्ता-रफ़्ता नहीं किया.

रफ़्ता-रफ़्ता जब आया तो साथ में हफ़्ता-हफ़्ता लग लिया. हफ़्ता-हफ़्ता का कोई सिला समझ न आया तो हमने उससे पूछा कि तुम्हारे महीना भाई किधर हैं.

महीना भाई सकुचाये से खड़े थे जैसे किसी बूंद की आड़ में बूंद. हमने कहा सामने आओ भाई! ऐसे घपले-घोटाले की तरह काहे चिलमन में छिपे हो. महीना जिस तरह लजा के मुस्कराया उससे मन किया कि किसी मुफ़्तिया साफ़्टवेयर में उसकी आई डी धर के देखें कि कहीं ये पूर्वजन्म में मोनालिसा तो न थी.

बूंद की आड़ से बूंद बाहर आयी तो देखा सूरज की एक किरन एक बूंद के रोशनी का इंजेक्शन लगा रही थी. साथ की बूंदे खिलखिला रहीं थीं. तमाम बूंदों को खिलखिलाता देखकर एक दलाल ने उनको अपने साथ इकट्ठा करके एक फ़ोटो सेशन कर लिया और सारी दुनिया भर में खिलखिलाहट को इंद्रधनुष के नाम से पेटेंन्ट करा लिया.

सूरज ने शायद मुझे आनलाइन देख लिया होगा ऊपर से. उसका मेसेज आया -भाई साहब ये आपके मोहल्ले की बारिश की बूंदे हमारी किरणों को भिगो के गीला कर रही हैं. आप इनको मना कर दो वर्ना मैं सागर मियां को उबाल के धर दूंगा.

मैंने तीन ठो इस्माइली भेज के सूरज को समझाया -अरे खेलने-कूदने दो किरणों और बूंदों को आपस में यार तुम काहे के लिये हलकान हो रहे हो. उमर हो गयी लेकिन जरा-जरा सी बात पर उबलना अभी तक छोड़ा नहीं.

इस बीच एक बूंद अचानक उछली. लगा कि वापस गिरेगी तो हड्डी-पसली का तो प्रमुख समाचार हो के ही रहेगा. लेकिन उसके नीचे गिरने के पहले ही तमाम बूंदे चादर की तरह खड़ीं हो गयीं. उसको गोद में लेकर गुदगुदी करने लगीं. किरणें भी बूंद के गाल पर गुदगुदी करने लगीं. सब खिलखिलाने लगीं.

मैंने बूंदों-किरणों का खिलखिलौआ सीन मोबाइल से खींचकर फ़ौरन फ़ेसबुक पर अपलोड कर दिया. अपलोड करने के बाद सूरज को संदेशा भेजा -देख लो अपनी किरणों को क्या मजे से हैं.

संदेशा भेजने के बाद देखा कि सूरज पहले ही मेरी फोटो को लाइक कर चुका था. बड़ा तेज चैनल है भाई ये भी.

हम आगे कुछ और गुलजार होने का मन बना रहे थे कि मोबाइल की घंटी बजने लगी. सूरज का फोन आ रहा है. मुझे पता है कि बेटियों की याद में भावुक टाइप होकर फोन किया है. उनको खिलखिलाते देखकर रहा नही गया होगा बेचारे से. मारे खुशी के गीला हो गया होगा. आते हैं जरा बात करके. तब तक आप कैरी आन करिये.

 

16 सितम्बर 1963 को कानपुर के एक गाँव में जन्मे अनूप शुक्ल पेशे से इन्जीनियर हैं और भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में कार्यरत हैं. हिन्दी में ब्लॉगिंग के बिल्कुल शुरुआती समय से जुड़े रहे अनूप फुरसतिया नाम के एक लोकप्रिय ब्लॉग के संचालक हैं. रोज़मर्रा के जीवन पर पैनी निगाह रखते हुए वे नियमित लेखन करते हैं और अपनी चुटीली भाषाशैली से पाठकों के बांधे रखते हैं. उनकी किताब ‘सूरज की मिस्ड कॉल’ को हाल ही में एक महत्वपूर्ण सम्मान प्राप्त हुआ है

 

 

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

2 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

6 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

6 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

6 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

6 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

6 days ago