दीप रजवार

जिम कॉर्बेट पार्क के बाघ इस सम्मान के हकदार क्यों नहीं?

कुछ दिनों से एक खबर सुर्ख़ियों में बनी हुई है जो एक बाघिन के प्रति मानवीय संवेदनाओं को ज़ाहिर करती है और उसके प्रति उसके चाहने वालों का प्यार और सम्मान को दर्शाती है. मध्य प्रदेश के सिवनी स्थित पेंच बाघ अभयारण्य में 29 शावकों को जन्म दे चुकी बाघिन की 16 साल की उम्र में हाल ही में मृत्यु हो गई थी. इस बाघिन को ‘पेंच की रानी’ व ‘सुपर मॉम’ के नाम से भी जाना जाता था और यही बाघिन ‘कॉलरवाली’ के नाम से मशहूर भी थी. (Memoirs of Jim Corbett Park by Deep Rajwar)

मध्य प्रदेश राज्य के वन विभाग द्वारा ‘कॉलरवाली’ बाघिन’ का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया जो दिल को छू जाने वाला है. इससे पहले रणथम्भौर की ‘मछली’ बाघिन को उसकी मृत्यु उपरांत ऐसा ही सम्मान मिला था और इस खबर ने भी बहुत सुर्ख़ियाँ बटोरी थी.

अब बात करें कॉर्बेट की तो यहाँ काफ़ी उदासीनता देखने को मिलती है और यहाँ के बाघों को वह सम्मान नहीं मिलता जो और जगह देखने को मिलता है.

कॉर्बेट पार्क में भी एक ऐसी बाघिन हुई जिसने देश-विदेश में कॉर्बेट को एक अलग ही पहचान दी. शर्मीली नाम की इस बाघिन के लाखों चाहने वाले थे जो शावकों के साथ इसकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहा करते थे. एक समय ऐसा भी था जब देश के सारे फ़ोटोग्राफर और प्रकृति प्रेमी अन्य बाघ देश के अन्य अभयारण्यों को छोड़ कॉर्बेट पार्क का रुख़ किया करते थे.

फिर किसी रोज शर्मीली लापता हो गयी. पर अफ़सोस की बात कि उसके लापता होने के बाद ना तो विभाग द्वारा ना ही स्थानीय गाइड या नागरिकों द्वारा उसको ढूँढने में कोई पहल की गई. ये बात मुझे बहुत खटकी और इसी विषय पर मेरा एक लेख हिंदुस्तान अख़बार के सभी संस्करणों में प्रकाशित भी हुआ था. इस विषय पर चीफ़ वाइल्डलाइफ़ वार्डन द्वारा एक पत्र कॉर्बेट प्रशासन को लिखा गया जिसमें शर्मीली को ढूँढने के निर्देश दिए गये थे. बाद में बताया गया कि एक बाघ का कंकाल मिला है जो शायद शर्मीली का हो सकता है, पर इस बात की पुष्टि नहीं हुई थी.

शर्मीली के बारे में जानने के लिए पढ़ें : एक थी शर्मीली

शर्मीली

इस बाघिन की प्रसिद्धि का आलम यह था कि सोशल मीडिया पर अपरिचित लोग मुझे मैसेज कर इस बारे में पूछा करते थे. ऐसी ही एक और बाघिन जो पार की रानी के नाम से अपने चाहने वालों में काफ़ी मशहूर है भी काफ़ी समय से दिखायी नहीं दे रही है और उसके चाहने वाले उसकी सलामती की दुआ माँग रहे हैं. एक समय ढिकाला की सत्तर फ़ीसदी साइटिंग इसी बाघिन की हुआ करती थी. जिसके ना दिखने का मतलब होता था बिना बाघ देखे वापस जाना.

जब हम देश के अन्य बाघ अभयारण्यों से ऐसी खबरें सुनते है तो मन में सवाल उठता है कि यहाँ वन्यजीवों को ऐसा मान-सम्मान क्यों नहीं दिया जाता. बाघ आते है और जाते हैं पर दशकों में कोई एक ऐसा बाघ होया है जो अपने असाधारण व्यवहार से लोगों का दिल जीत लेता है और असाधारण प्रसिद्धि पाता है.

कॉर्बेट पार्क में जब बाघिन मां दुर्गा की भक्ति में डूबी दिखी

हमारे पास भी शर्मीली के रूप में उसकी यादों की एक शानदार धरोहर है अगर विभाग चाहे तो उसकी यादों को एक संग्रहालय में रूप में संजो कर उसे आज भी उसके चाहने वालों के बीच में जीवित कर सकता है. हर साल लाखों लोग कॉर्बेट भ्रमण पर आते है और हम उन्हें गर्व के साथ बता सकते हैं कि हमारे पास भी शर्मीली के रूप में एक बाघिन का शानदार इतिहास है जिसके सारे पन्ने आज भी उतने ही सजीव है जितने उस समय हुआ करते थे.

ऐसी जीवंत कहानियाँ छात्र-छात्रों में वाइल्डलाइफ़ संरक्षण के प्रति उनके योगदान को लेकर जागरूक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

उत्तराखण्ड के बेहतरीन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं दीप रजवार

रामनगर में रहने वाले दीप रजवार चर्चित वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर और बेहतरीन म्यूजीशियन हैं. एक साथ कई साज बजाने में महारथ रखने वाले दीप ने हाल के सालों में अंतर्राष्ट्रीय वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के तौर पर ख्याति अर्जित की है. यह तय करना मुश्किल है कि वे किस भूमिका में इक्कीस हैं.

काफल ट्री फेसबुक : KafalTreeOnline

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

1 day ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

1 week ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago