दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र देहरादून के तत्वाधान में शनिवार, 5 अक्दूबर, 2019 को होटल इन्द्रलोक में लोकेश ओहरी की पुस्तक ‘द किंगडम कम ‘ का लोकार्पण व चर्चा का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में समाज विज्ञानी लोकेश ओहरी की पुस्तक द किंगडम कम पर चर्चा की गयी. (Lokesh Ohri Book The Kingdom Come Released)
समाज विज्ञान से जुड़ी सरगम मेहरा ने पुस्तक का परिचयात्मक विवरण देने के पश्चात लेखक लोकेश ओहरी से इस पुस्तक पर व्यापक परिचर्चा की. दून पुस्तकालय एवम् शोध केन्द्र के निदेषक प्रो. बी.के.जोशी ने कार्यक्रम में आये सभी लोगों का स्वागत किया. पुस्तक के लेखक लोकेश ओहरी ने द किंगडम कम में आये तमाम महत्वपूर्ण तथ्यों पर गहराई से से प्रकाश डाला. (Lokesh Ohri Book The Kingdom Come Released)
परिचर्चा के के समापन पर सभागार में उपस्थित प्रतिभागियों ने लेखक लोकेश ओहरी से उनकी पुस्तक पर जबाब-सवाल भी किये.इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन,श्री एन. रविशंकर भी उपस्थित थे. साथ ही देहरादून नगर के प्रतिष्ठित साहित्यकार, समाज विज्ञानी,साहित्य प्रेमी, संस्कृति और कला से जुडे लोग, समाजसेवी ,पुस्तकालय सदस्य और दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के चंद्रशेखर तिवारी, डॉ. मनोज पंजानी, सुन्दर सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह महर व मधन सिंह समेत शहर के कई लोग मौजूद थे.
टिल किंगडम कम : महासू देवता के रहस्यों की पुस्तक
देहरादून जनपद में ही, शहर से लगभग 200 कि.मी. की दूरी पर स्थित है हनोल, जो महासू नामक चार देवता व राजा भाईयों के राज्य की राजधानी है. यह अजीब बात है कि हम अपने दक्षिण की ओर उतनी ही दूरी पर, यानि दिल्ली की ओर घटने वाली सभी घटनाओं की जानकारी रखते हैं लेकिन उत्तर की ओर का क्षेत्र यानि जौनसार-बावर, अभी भी हमारे लिए रहस्य ही बना हुआ है. इन्हीं कुछ रहस्यों पर से पर्दा उठाया है लोकेश ओहरी के लगभग छःह वर्षों के शोध कार्य ने, जो द किंगडम कम नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई है. मानव विज्ञान की इस महत्वपूर्ण पुस्तक का प्रकाशन भारत में परमानेन्ट ब्लैक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्टेट युनिवर्सिटी आफ न्यूयार्क प्रैस ने किया है. पुस्तक में महासू देवताओं को देवताराजा यानि राजनैतिक शक्ति वाली दैवीय शक्ति माना गया है, जो प्रथा शायद मानव राजाओं के प्रचलन से पूर्व विद्यमान थी. रोचक तथ्य ये है कि अंग्रेजों ने आरम्भ में देवताओं से सन्धि करना उचित समझा. अंग्रेजी काल के दुर्लभ दस्तावेजों और पड़ोसी राज्यों टिहरी तथा रामपुर बशहर को साथ देवता सम्बन्धों की भी विशेष जानकारी पुस्तक में उपलवब्ध है.जाति प्रथा और पशु बलि जैसी वर्तमान परिवेश के मुद्दों को लेकर भी यह पुस्तक कई सार्थक प्रश्न उठाती है.
चंद्रशेखर तिवारी. पहाड़ की लोककला संस्कृति और समाज के अध्येता और लेखक चंद्रशेखर तिवारी दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र, 21,परेड ग्राउण्ड ,देहरादून में रिसर्च एसोसियेट के पद पर कार्यरत हैं.
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