अमित श्रीवास्तव

इट इज़ नॉट ब्लाइंडनेस इट्स अ ब्लाइंडफ़ोल्ड

रिटायर होने के तीन माह पूर्व उनसे एक अनौपचारिक बातचीत थी.

– अब तक कितने? 

– एक भी नहीं 

– कभी लगा नहीं कि इस क्रिमिनल को उड़ा दिया जाए? 

– बहुत सालों, बल्कि कहें तो सदियों मेहनत करके ये व्यवस्था पाई है हमने. इससे बेहतर व्यवस्था हो सकती है, अभी तो ये भी नहीं कह सकते. दरअसल इस व्यवस्था से ज़रा सा भी विचलन एक बड़ी मुसीबत को जन्म दे सकता है. यही वो व्यवस्था है, जिसमें सबसे कम सब्जेक्टिविटी हो सकती है. आशय बहुत साधारण है इस बात का, लेकिन इशारा बहुत बड़ा. 

एक दफ़ा एक हत्या का आरोपी छूट गया. गवाह पलट गए थे. जज सा’ब से थोड़ी बेतकल्लुफी हो जाती थी. यूँ ही पूछ बैठा कि ‘सर मुल्जिम ने अपराध किया मैं भी जानता हूँ, आप भी. अगर गवाहों के पुलिस को दिए एक सौ इकसठ के बयान आप मान लिए जाते  तो सज़ा पक्की थी.’ जज सा’ब मुस्कुराए बोले ‘ठीक आपकी ये बात सरकार तक पहुंचाई जाएगी बस आप ठीक से सोच-समझ लीजिये…’  कहते-कहते वो एक तरफ देखने लगे. उन्होंने एक पुराने दरोगा की तरफ इशारा किया था. नाम नहीं बताऊंगा लेकिन वो दारोगाई से भरे हुए दरोगा थे. वो इशारा ही काफी था ये समझने में कि क्यों ये अधिकार पुलिस के पास नहीं है. 

– लेकिन जघन्य अपराध था ये… 

– ह्म्म्म… अब तक तकरीबन सत्ताईस रेप के मुकदमों में सीधे या परोक्ष रूप से जुड़ा रहा हूँ. इनमें से सम्भवतः बारह नाबालिग बच्चियों के बलात्कार रहे होंगे और एक केस में तो मुल्जिम छोटे नाबालिग बच्चों-बच्चियों से  दुष्कर्म का प्रयास करता था, ये अलग बात है कि बहुत कर कुछ नहीं पाता था. आधा सैकड़े से ज़्यादा हत्या के अपराध देखे हैं, जिसमें कई किस्से ऐसे भी याद आते हैं जिसमें मरने वाले के पीछे कुछ ऐसी अकेली जिंदगियां रह गईं कि उन्होंने भी मौत को गले लगा लिया. डकैती और हत्या की कुछ ऐसी वारदातों की तफ़्तीश भी की है जिसमें जाते-जाते डकैतों ने घर के सारे पुरुषों, पांच साल के अबोध को भी, चाकू से गोद-गोद कर मार डाला. पेशी के लिए ले जाते तीन सिपाहियों को मारकर भागने वाले अपराधी भी रहे हैं मेरी निगाह में. आपको वो केस याद है जिसमें एक डॉक्टर इलाज के नाम पर किडनी बेच दिया करता था? किसे कहेंगे जघन्य किसे नहीं? कोई सरकारी कोई अख़बारी परिभाषा उस ट्रॉमा को नहीं दिखा सकती जो अपनी माँ को अपने ही बाप के द्वारा टुकड़े-टुकड़े कर फ्रीज़र में बंद देखने की होगी.  

-वो डिलेड डिनाइड वाली बात… 

– बहुतों पर अपराध साबित हुआ कुछ सबूत की कमी की वजह से बरी भी हो गए. पूरी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद हमारे जानते हुए भी कि अपराध इसी आरोपी ने किया है, आरोपी छूट गया. बहुत निराशा होती है, हाथ मसल के रह जाते हैं. लेकिन आख़िर हमारी ड्यूटी क्या थी? आरोपी को कटघरे तक पहुंचाना ही तो. यह तो नहीं कि शार्ट कट लिया और सीधा ऊपर पहुंचा दिया. 

– तो क्या सारे फ़ेक… 

– क्यों नहीं होते? चांस एनकाउंटर्स भी होते हैं. लेकिन वो एक मजबूरी होती है पुलिस की. उस वक्त उसके अतिरिक्त अपराधी को पकड़ने, उससे बचने या उससे कोई और अपराध होने से रोकने के लिए कोई और तरीका नहीं रह जाता. लेकिन फिर कहूंगा, एनकाउंटर तो मजबूरी होनी चाहिए, अदा नहीं! पुलिस का एक बहुत ज़रूरी काम और है, न्याय व्यवस्था में लोगों का विश्वास बढ़ाना. एक फेक एनकाउंटर हो सकता है तात्कालिक रूप में जनता की वाहवाही हासिल कर ले जाए, बट इन द लॉंगर रन इससे हमेशा के लिए व्यवस्था से विश्वास हिल जाता है.

– बट रेयरेस्ट ऑफ द रेयर…

– हाँ, पर निर्णय करने का पूरा अधिकार अदालतों को ही है. होना ही चाहिए. वो भी अपराध के हिसाब से, अपराधी के नहीं. हो सकता है रसूख़ और पैसा मायने रखता हो लेकिन इस निर्णय का अधिकार पुलिस के पास आने या कहीं भी और जाने से रसूख़ और पैसा बहुत ज़्यादा मायने रखने लगेगा. यही व्यवस्था है, जिसे हमने बहुत सालों की मेहनत से हासिल किया है, जहाँ न्याय की ऑब्जेक्टिविटी मैक्सिमम हो सकती है एन्ड सी क्लोज़ली माई डियर, इट्स नॉट ब्लाइंडनेस इट्स अ ब्लाइंडफ़ोल्ड. कैन पुलिस क्लेम टू बी ब्लाइंडफोल्डेड? It is not Blindness it’s a Blindfold

डिस्क्लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

अमित श्रीवास्तवउत्तराखण्ड के पुलिस महकमे में काम करने वाले वाले अमित श्रीवास्तव फिलहाल हल्द्वानी में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हैं.  6 जुलाई 1978 को जौनपुर में जन्मे अमित के गद्य की शैली की रवानगी बेहद आधुनिक और प्रयोगधर्मी है. उनकी तीन किताबें प्रकाशित हैं – बाहर मैं … मैं अन्दर (कविता) और पहला दखल (संस्मरण) और गहन है यह अन्धकारा (उपन्यास). 

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

1 day ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

5 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

5 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

5 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

5 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

5 days ago