तस्वीर alternativemedicine.com से साभार
ये क्लब ड्रग्स के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करेंगे।
अदालत ने यह फ़ैसला, रामनगर निवासी श्वेता माशिवाल द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए किया है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की डिविज़न बैंच ने राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में बढ़ते ड्रग्स के नशे के प्रचलन पर सख़्ती दिखाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि स्कूलों और कॉलेज़ों में एंटी ड्रग्स क्लब्स बनाए जाएं।
ये क्लब ड्रग्स के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करेंगे। अदालत ने यह फ़ैसला, रामनगर निवासी श्वेता माशिवाल द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए किया है।
बैंच के आदेश के मुताबिक ऐसे क्लब, सरकारी स्कूलों, सरकार द्वारा सहयता प्राप्त स्कूलों, माइनॉरिटी इंस्टिट्यूट्शंस, निजी स्कूलों और विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, पॉलिटेक्निक कॉलेजों और कोचिंग सेंटर्स में बनाए जाने हैं जिससे कि इन संस्थानों के सदस्यों और छात्रों के बीच ड्रग्स मुक्त माहौल का निर्माण किया जा सके।
बैंच ने पुलिस महानिदेशक को भी निर्देश दिए है कि उत्तराखंड के प्रत्येक ज़िले में एक नार्कोटिक्स स्क्वॉड गठित किए जाएं, जिसकी ज़िम्मेदारी इंस्पेक्टर रैंक के किसी अधिकारी को सौंपी जाए। इस स्क्वॉड का काम नशे के कारोबार को हतोत्साहित करना और उन लोगों को पकड़ने के साथ ही डाटाबेस तैयार करना होगा जो कि पहले भी नशे का कारोबार करते पकड़े गए हैं या जिन पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई चल रही है।
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