सही समय पर किसी को दी जाने वाली सहायता उसके जीवन में आमूल चूल परिवर्तन ला सकती है. इसका एक उदाहरण देवरी रोड आगरा के निवासी जितेंद्र कुमार है जो एक दुर्घटना में दोनों पैर खो चुके थे. उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राज्यपाल बनने के पहले वर्ष 2018 में जितेंद्र को एक ट्राई साइकल भेंट की थी. कुछ माह बाद उनके प्रयासों से जितेंद्र को कृत्रिम पैर भी मिल गए.
Jitendra honored by Governor of Uttarakhand
अपनी दिव्यंगता से हार न मानते हुए जितेंद्र ने एक नया जीवन प्रारम्भ किया और ई रिक्शा के माध्यम से अपना रोज़गार शुरू किया. लॉकडाउन में भी जितेंद्र ने हार नहीं मानी. लॉकडाउन के उपरांत जितेंद्र ने फिर से ई रिक्शा चलाना शुरू कर दिया है. अपने आगरा प्रवास पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने जितेंद्र की कुशल क्षेम पूछी और उनको सम्मानित भी किया.
राज्यपाल ने कहा कि क़ोरोना महामारी के दौर में जब समाज का हर वर्ग परेशान है, ऐसे में दिव्यांगों के समक्ष भी चुनौतियाँ हैं. जितेंद्र ने अपने साहस और धैर्य से यह दिखा दिया है कि दिव्यांग भी किसी से कम नहीं हैं, बस उन्हें सही समय पर सही मदद मिल जाय. दिव्यांग भी आत्मनिर्भर हो सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि दिव्यांगता शारीरिक अथवा मानसिक हो सकती है किन्तु सबसे बड़ी दिव्यांगता समाज की उस सोच में होती है जो दिव्यांग जनों के प्रति हीन भाव रखती है.
Jitendra honored by Governor of Uttarakhand
अब दिव्यांग लोगों के प्रति अपनी सोच को बदलने का समय आ गया है. दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में तभी शामिल किया जा सकता है जब समाज इन्हें अपना हिस्सा समझें. दिव्यांग को किसी बहुत बड़ी मदद की ज़रूरत नहीं होती बल्कि थोड़ी मदद और प्रोत्साहन से वो अपना मार्ग खुद बनाने में सक्षम हैं.
राज्यपाल ने कहा कि जितेंद्र के उदाहरण ने दिव्यांगों के कल्याण के प्रति उनकी संकल्प शक्ति को और मज़बूती दी है. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वे उत्तराखंड में दिव्यांग और अशक्तजनों के कल्याण और पुनर्वास की योजनाओं की भी समीक्षा करेंगी. उन्होंने दिव्यांग जनों से भी आह्वान किया है कि वे समाज की मुख्यधारा का अभिन्न अंग हैं और किसी भी स्थिति में अपने को किसी से कम न समझें.
Jitendra honored by Governor of Uttarakhand
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