आजादी के दौरान महात्मा गांधी के सहयोगी के तौर पर काम करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दादा के बारे में जब फ्रांस में रहने वाली उनकी दो पोतियों पता चला तो उनके बारे में और ज्यादा जानने की इच्छा उन्हें उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा तक ले आयी. यहां पहुंचकर उन्होंने लोगों अपने दादा के बारे में जानकारी जुटाई और उन पर लिखी गई पुस्तकों को भी एकत्र किया. करीब एक सप्ताह तक दोनों ने नगर में उनके बारे में तमाम तथ्य हासिल किए. (Durga Singh Rawat Almora)
फ्रांस में रहने वाली यामिनी और शीला अपने दादा दुर्गा सिंह रावत के बारे में जानने के लिए अल्मोड़ा पहुंची. वे यहां से उनके बारे में जानकारी इकट्ठा करके फ्रांस के लोगों तक उसे पहुंचाना चाहती हैं. वे देश-दुनिया को दादा देश के लिए दिए योगदान को बताना चाहती हैं.
अल्मोड़ा में हीरा डूंगरी निवासी हर्ष रावत के अनुसार उनके परदादा किशन सिंह रावत ब्रिटिश भारत में तिब्बत और मंगोलिया की सर्वे टीम का हिस्सा रहे. दुर्गा सिंह रावत पहले तहसीलदार रहे और फिर महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े. उन्होंने आजादी के आन्दोलन में सक्रिय की.
दुर्गा सिंह रावत के एक बेटे राजेश्वर सिंह अल्मोड़ा में पढ़ाई पूरे करने के बाद फ्रांस जा बसे. उन्होंने फ्रांस में ही विवाह किया. उनकी दो बेटियां हुईं, शीला और यामिनी.
बड़े होने के बाद जब पोतियों को अपने दादा की ऐतिहासिक भूमिका के बारे में पता लगा तो वे हिन्दुस्तान में रह रहे अपने परिजनों से मिलने और दादा दुर्गा सिंह रावत के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए अल्मोड़ा पहुँच गयीं. यहां पहुंचकर उन्होंने दादा दुर्गा सिंह रावत के बारे में जानकारी इकट्ठा कीं. उनका विचार जल्द ही अपने दादा पर एक पुस्तक लिखने का है. इस किताब में आजादी के दौरान उनके योगदान को विस्तार से बताया जायेगा.
50 साल की यामिनी 30 साल बाद अल्मोड़ा पहुंची हैं. फ्रांस में शिक्षक यामिनी 30 साल पहले वह अल्मोड़ा आई थी. इस बार उनके साथ उनकी बेटी मैलिशा, बहन शीला, उसकी बेटी कल्याणी भी थे.
यामिनी अपने दादा दुर्गा सिंह रावत के बारे में जानने के लिए स्थानीय पुस्तकालय पहुंची. उन्होंने विभिन्न लोगों से मिलकर अपने दादा के बारे में जानकारी इकट्ठा की.
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इनपुट: दैनिक हिन्दुस्तान से
प्रमोद डालाकोटी दैनिक हिन्दुस्तान के अल्मोड़ा प्रभारी हैं.
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